अलीगढ़

भगवान की माता को दिखे 16 स्वप्न ,श्रद्धालुओं ने भरी माता की गोद

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आचार्य आदित्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य मे श्रद्धालु धार्मिक अनुष्ठान कर रहे है संपन्न

शनिवार को अलीगढ़ से लगभग 35 किमी दूरी पर स्थित श्री महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में चल रहे पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव पर प्रातःजाप्य, अभिषेक, पूजन,याग मंडल आराधना इन्द्र इंद्राणी के रूप में श्रावक श्राविकाओ ने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न किया। पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जिसमें तीर्थंकर के जीवन की पांच शुभ घटनाओं के माध्यम से मनाया जाता है। इन पांच घटनाओं में से गर्भ कल्याणक, तीर्थंकर के माता के गर्भ में आने की घटना है।
तत्पश्चात धर्म सभा में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए आचार्य श्री आदित्य सागर जी मुनिराज ने कहा जो मनुष्यता से पर हो जाता है वही भगवान होता है भगवान का अर्थ होता है मेरे अंदर सभी प्रकार की विकार वासना समाप्त हो गई है मुझे अब अस्त्र-शस्त्र और वस्त्र की कोई ताल्लुक नहीं है मेरी आत्मा से निर्धम दिव्य प्रकाश निकल रहा है राग द्वेष की दूरी कल्मस का धुआं नहीं है राग द्वेष की कालिमा जिनको ज्योति को धूमिल नहीं कर सकती है वही भगवान है वही अर्धनारीश्वर है ।दोपहर में सीमंतनी क्रिया की गई जिसमें तीर्थंकर आदिनाथ की माता की गोद भराई क्रिया पूर्ण की गई। जिसमें महोत्सव के पात्र, महोत्सव समिति सहित सैकड़ों महिलाओं ने माता की गोद भराई कर धर्म लाभ लिया। शाम को आरती भजन एवं भगवान के पिता राजा नाभिराय का दरबार लगा कर दिखाया गया। माता मरु देवी के 16 स्वप्न,गर्भ कल्याण अभ्यांतर क्रिया आदि नाटकीय चित्रण बखूबी किया गया। नाटक मंचन में भगवान की माता को 16 स्वप्न आते है जागने के बाद माता अपने सपनों को भगवान के पिता को बताती है। सपनों को सुनने के बाद भगवान के पिता कहते है लगता है हमारे यहां भगवान पैदा होने वाले है।जब भगवान का जन्म होता है किस प्रकार इंद्रौ द्वारा नाचते गाते हुए भगवान के जन्म से पूर्व खुशियां मनाते है भगवान की माता मरुदेवी की सेवा में अष्टकुमारियां 56 कुमारियां लगी होती है। कुबेर इंद्र द्वारा पूरी नगरी में 14 करोड़ रत्नों की वर्षा की जाती है कारीगरों को पारितोषिक दिया जाता है क्षीरसागर के जल से माता का स्नान सौधर्म इन्द्र –शचि इन्द्राणी के साथ अष्टकुमारियों 56 कुमारियों ने इन्द्र इंद्राणियों के साथ नृत्य किया और अपार खुशियां मनाईं। सभी धार्मिक कार्य प्रतिष्ठाचार्य पुष्पेंद्र जय। शास्त्री विधानाचार्य विशाल जैन एवं शुभम भैया के निर्देशन में सम्पन्न हुए।इस मौके पर प्रद्युम्न कुमार जैन,नरेंद जैन,मिलन जैन ,वीरेंद्र कुमार जैन ,सत्येंद्र जैन,दीपेंद्र जैन,संजय जैन ,शरद जैन,विशाल जैन ,भारत जैन आदि समाज के महिला पुरुष बच्चे उपस्थित रहे।

JNS News 24

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