दुष्कर्म पीड़ितों को मदद का इंतजार, समाज कल्याण विभाग दबाए बैठा है पैसा
शहर में 275 ऐसे पीड़ित हैं, जो आठ माह से समाज कल्याण विभाग और पुलिस कमिश्नर कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर
कानपुर में आपराधिक घटना का शिकार अनुसूचित जाति, जनजाति (एससीएसटी) वर्ग के लोगों को सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक मदद दूर की कौड़ी साबित हो रही है। शहर में 275 ऐसे पीड़ित हैं, जो आठ माह से समाज कल्याण विभाग और पुलिस कमिश्नर कार्यालय के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। इन्हें करीब 2.40 करोड़ का भुगतान होना है। इनमें हत्या के चार, बलात्कार के सात मामले भी शामिल हैं। अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग के लोगों के साथ होने वाली आपराधिक घटनाओं (हत्या, बलात्कार, तेजाब फेंकना, जान से मारने की कोशिश, छेड़खानी, मारपीट समेत अन्य घटनाएं) में पीड़ितों और उनके परिजनों को शासन की तरफ से अलग-अलग सहायता राशि दी जाती है।मुकदमा दर्ज होने के बाद जांच में आरोप सही मिलने पर समाज कल्याण विभाग की तरफ से पीड़ित के खाते में धनराशि भेजी जाती है। हालांकि वर्तमान में विभाग में 275 फाइलें लंबित हैं। शासन की तरफ से बजट तो जारी हो गया लेकिन अभी तक पीड़ितों के खातों में धनराशि नहीं पहुंची। एससी-एसटी के तहत उत्पीड़न के मामले में कुछ पैसा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद और फिर चार्जशीट जारी होते ही आधी धनराशि मिल जाती है। शेष धनराशि आरोपी को सजा के बाद मिलती है। इस तरह से एक तिहाई रकम पीड़ित को चार्जशीट दाखिल होने तक मिल जाती है। सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पीड़ित को आठ लाख रुपये मिलते हैं। इसमें मेडिकल रिपोर्ट के बाद एफआईआर दर्ज होते ही चार लाख, आरोपपत्र दाखिल होने पर दो लाख रुपये और कोर्ट का फैसला के बाद बचे हुए दो लाख रुपये मिलते हैं।
आरोपपत्र दाखिल होने के बाद कोर्ट में समझौता हो गया, तो बाकी पैसा नहीं मिलता है। हत्या में 8.25 लाख रुपये का प्रावधान है। इसमें पोस्टमार्टम होते ही 50 प्रतिशत रकम मिलती और चार्जशीट दाखिल होने पर बाकी पैसा मिल जाता है। दुष्कर्म में पांच लाख मिलते हैं। आधा पैसा एफआईआर के बाद, बची हुई आधी रकम चार्जशीट दाखिल होने पर और बाकी 25 प्रतिशत धनराशि सजा के बाद मिलती है। रावतपुर में रहने वाली एक महिला के ऊपर तेजाब फेंका गया। मामले में नवाबगंज थाने में सितंबर 2022 में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। पुलिस स्तर पर मामले की जांच पूरी होने के बाद मुआवजे के लिए फाइल समाज कल्याण विभाग में मई 2023 में पहुंच गई थी लेकिन अभी उन्हें आर्थिक मदद नहीं मिली है। गोविंदपुरी क्षेत्र की महिला के साथ पड़ोसी ने बलात्कार किया था। इसकी रिपोर्ट गोविंदनगर थाने में वर्ष 2019 में दर्ज कराई गई थी। मामले की जांच होने के बाद महिला को मुआवजा देने के लिए अप्रैल में फाइल समाज कल्याण विभाग पहुंच गई। इन्हें भी अभी तक मदद नहीं मिली है। बर्रा के रहने वाले एक व्यक्ति के 35 वर्षीय लड़के की हत्या हो गई थी। वर्ष 2022 अप्रैल में बर्रा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मामले की जांच के बाद फाइल समाज कल्याण विभाग में जून में पहुंची। हालांकि अभी तक आर्थिक मदद नहीं मिल सकी। समाज कल्याण विभाग के स्वतंत्र प्रभार मंत्री असीम अरुण ने बताया कि पीड़ितों को आर्थिक मदद देने के लिए समाज कल्याण विभाग के अधिकारी काे निर्देश दिए गए हैं। इस योजना के तहत कानपुर में एक करोड़ 85 लाख रुपये जारी किए गए हैं। 84,97500 की राशि पीड़ितों के खाते में भेजी जा चुकी है। बाकी राशि जल्द ही भेज दी जाएगी। एससी-एसटी के तहत उत्पीड़न के मामले में कुछ पैसा रिपोर्ट दर्ज होने के बाद और फिर चार्जशीट जारी होते ही आधी धनराशि मिल जाती है। शेष धनराशि आरोपी को सजा के बाद मिलती है। इस तरह से एक तिहाई रकम पीड़ित को चार्जशीट दाखिल होने तक मिल जाती है।