हर पूजा या हवन के बाद पुजारी कलावे को हाथ में बांधते हैं। उसके बाद पुराने कलावे को उतार दिया जाता है। कलावे का हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हर पूजा या हवन के बाद पुजारी कलावे को हाथ में बांधते हैं। उसके बाद पुराने कलावे को उतार दिया जाता है। ऐसे में कई बार यह प्रश्न आता है कि आखिर पुराने कलावे का किया जाता है। कलावा उतारने को लेकर भी नियम है। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने विस्तार से बताया कि उतरे हुए कलावे का क्या करना चाहिए।शास्त्रों में बताया गया है कि पुराने कलावे का रंग उतर जाता है। ऐसे में उतरे रंग के कलावे को हाथ में पहनना अशुभ माना जाता है। इस तरह के कलावे के लिए शास्त्रों में लिखा है कि इन्हें उतार देना चाहिए, क्यों कि यह दूषित हो चुके होते हैं।कई लोग पुराने हो चुके कलावे को उतार तो देते हैं, लेकिन उसका क्या करना चाहिए यह नहीं पता होता है। ऐसे में वह उसे यू हीं फेंक देते हैं या फिर पेड़-पौधे को चढ़ाना ठीक समझते हैं। शास्त्रों की मानें तो यह गलत है। पुराने कलावे को पेड़-पौधों को नहीं चढ़ाना चाहिए क्योंकि यह अपवित्र कलावा होता है।शास्त्रों की मानें तो पुराना कलावा व्यक्ति की ऊर्जा को अपने में ले लेता है। हम जब उसके फेंक देते हैं तो वह नकारात्मक ऊर्जाओं को अपनी ओर आकर्षित करता है। ऐसे सबसे सही तरीका है कि उसे जला देना चाहिए। कलावे को जमीन गाड़ना भी सही तरीका माना जाता है।
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