भारत का पंचायती राज सिस्टम कैसे करता है काम
साल 1993 में 73वें व 74वें संवैधानिक संशोधन के पास होने के बाद भारत में थ्री-टियर पंचायती राज सिस्टम को संवैधानिक दर्जा मिला
साल 1993 में 73वें व 74वें संवैधानिक संशोधन के पास होने के बाद भारत में थ्री-टियर पंचायती राज सिस्टम को संवैधानिक दर्जा मिला था। थ्री-टियर पंचायती राज सिस्टम में विलेज लेवल पर ग्राम पंचायत, ब्लॉक लेवल पर ब्लॉक समिति और डिस्ट्रिक्ट लेवल पर जिला परिषद होते हैं। पंचायती राज सिस्टम में ग्राम, ब्लॉक, और जिला स्तर पर चुने जाने वाले रिप्रेजेंटेटिव के जरिए लोगों को लोकल एडमिनिस्ट्रेशन में शामिल होने का मौका मिलता है। इस सिस्टम में पॉवर डिसेंट्रलाइज्ड होती है यानी कि सत्ता का बंटवारा होता है। इसलिए लोगों को सभी लेवल पर एडमिनिस्ट्रेटिव डिसीजन लेने की सुविधा मिलती है। आइए आपको आसान भाषा में समझा देते हैं कि पंचायती राज सिस्टम किन भागों में बंटा है और साथ ही कैसे कार्य करता है।
पंचायती राज सिस्टम के तीन लेवल:
तहसील या ब्लॉक समिति: तहसील या ब्लॉक समिति, ग्राम स्तर के बाद आती है और जिला स्तर से नीचे होती है। इसमें गांव के ग्रुप को इकट्ठा करके मैनेज किया जाता है। इसमें ग्राम पंचायतों के प्रमुखों का ग्रुप होता है। ये लोग तहसील या ब्लॉक समिति की मीटिंग में भाग लेकर डिसीजन लेते हैं। ब्लॉक समिति का भी अध्यक्ष या पंच होता है, जिसे ग्राम पंचायतों के प्रमुखों में से चूज किया जाता है। यह व्यक्ति समिति की मीटिंग करता है और डिसीजन लेता है। ब्लॉक समिति लोकल लेवल पर डेवलपमेंट में पॉजिटिव चेंज लाने और लोगों की समस्याओं को सॉल्व करने का काम करती है।
जिला परिषद: ग्राम पंचायत और ब्लॉक समिति के बाद सबसे ऊपर के लेवल को जिला परिषद कहते हैं। इसमें जिले की कई तहसील या ब्लॉक समितियों के प्रमुखों का ग्रुप होता है। जिले की ग्राम पंचायतों के सभी सदस्य मिलकर जिला परिषद को चुनते हैं। यह डिस्ट्रिक्ट लेवल पर डेवलपमेंट को संभालता है।