आचार्य चाणक्य एक विद्वान गुरु और कुशल नीति शास्त्र के मर्मज्ञ थे
समाज सुधारक, सलाहकार, दार्शनिक गुरु और कई सम्मान जनक उपाधियां हासिल की
आचार्य चाणक्य के बारे में हम सभी जानते हैं और उनकी महान नीतियों से भी आप सभी परिचित होंगे ही। उन्होंने ने राजनीति, समाज, मानव जीवन और धन समेत आदि तमाम सारी मानव हित के कल्याण हेतु बहुत सी महत्वपूर्ण बातों को अपनी नीति शास्त्र में बताया है। यदि उनकी बातों का पालन हम आज भी कर लें तो सफलता निश्चित है।उनका विवेक, बिद्धिमता और ज्ञान आप उनकी नीति पढ़ते ही समझ जाएंगे। आज हम आपको चाणक्य की एक ऐसी नीति के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि घर की संतान यदि कुपुत्र है यानि अच्छे कर्म करने वाली नहीं है तो वह पूरे वंश का नाश कर देती है। आइए जानते हैं चाणक्य ने अपनी नीति में आगे क्या कहा है।
चाणक्य नीति इस प्रकार से
एकेन शुष्कवृक्षेण दह्यमानेन वह्निना । दह्यते तद्वनं सर्वं कुपुत्रेण कुलं यथा ॥चाणक्य अपनी इस नीति में श्लोक के माध्य्म से यही बता रहे हैं कि जिस तरह एक सूखे वृक्ष में अग्नि लग जाने से पूरा वन जल कर राख हो जाता है। उसी प्रकार से यदि एक कुपुत्र के कारण पूरे घर के कुल का नाश हो जाता है। दुष्ट और आज्ञा न मानने वाली संतान पुरे घर के सम्मान को नष्ट कर देती है और पूरे कुल के विनाश का कारण बनती है।
संतान को दें संस्कार नहीं तो कुल का पतन निश्चित है
चाणक्य का कहने का अर्थ यही है कि जंगल में अगर एक भी वृक्ष सूखा निकल जाए और उसमें आग लग जाए भले ही अगल-बगल के वृक्ष हरे भरे क्यों ही न हों वो सूखे वृक्ष में अग्नि की लपेट में पूरा जंगल समा जाता है और जल कर भस्म हो जाता है। उसी प्रकार दुष्ट प्रवृत्ति की संतान कितनी ही प्यारी क्यों न हो वो एक न एक दिन परिवार और कुल के गौरव को नष्ट कर देती है। समाज में उसके बुरे आचरण के कारण परिवार को अपमान सहना पड़ता है। उन्होंने इसका एक और उदहारण देते हुए समझाया जैसे कि एक गंदी मछली पूरे तलाब को गंदा कर देती है ठीक उसी प्रकार एक कुपुत्र संतान परिवार के सम्मान को दूषित कर देती है।
संतान को संस्कार देने बेहद जरूरी
चाणक्य का मानना है कि संतान की बुरी आदतों पर ध्यान देना चाहिए और समय रहते उनका सुधरना बेहद जरूरी है। यदि कुल के विनाश को रोकना है तो संतान को नियंत्रण में रख कर उसके संस्कारों पर ध्यान दें। एक उत्तम और आज्ञाकारी संतान पूरे कुल को आगे बढ़ाती है। इसलिए संतान को अच्छि शिक्षा और संस्कार देना बेहद आवश्यक होता है।