किसी के मन में राम बसते हैं तो किसी को लगा राजनीतिक मुद्दा
अयोध्या न जाने को लेकर विपक्षी नेताओं ने क्या दी दलील?
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से कुछ विपक्षी नेताओं ने सीधे तौर पर मना कर दिया है। वहीं कई नेताओं ने परोक्ष रूप से इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। आइए जरा उन नेताओं पर एक नजर डालें जो इस कार्यक्रम में नहीं जाने वाले हैं। वहीं इन नेताओं ने ना जाने के पीछे की वजह भी बताई।श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की ओर से राम मंदिर के गर्भगृह में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत दुनियाभर से कई वीवीआईपी अयोध्या पहुंचने वाले हैं।प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरे जैसे नेताओं को न्योता भेजा गया है।हालांकि, कई नेताओं ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। सोमवार को सीपीएम CPI (M) नेता वृंदा करात और सीताराम येचुरी ने कार्यक्रम में शामिल होने से मना कर दिया है।बृंदा करात ने कहा,”हमारी पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह में शामिल नहीं होगी। इस फैसले के पीछे हमारी बुनियादी समझ है। हम धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हैं लेकिन वे (भाजपा) एक धार्मिक कार्यक्रम को राजनीति से जोड़ रहे हैं। धार्मिक कार्यक्रम का राजनीतिकरण करना सही नहीं है।”
कपिल सिब्बल ने क्या कहा?वहीं, कुछ दिनों पहले राज्यसभा सांसजद कपिल सिब्बल से जब पूछा गया कि क्या आप रामलला के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आप शामिल होंगे तो उन्होंने परोक्ष रूप से मना कर दिया। उन्होंने कहा,”मेरे दिल में तो राम है, मैं कोई दिखावे के लिए काम नहीं करता हूं। राम ने मुझे इस हद तक यहां ला दिया है तो कुछ सही ही कर रहा हूंगा।”इसके अलावा, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट ने हमें न्योता भेजा है। आमंत्रित करने के लिए हम उनके बहुत आभारी है। आगे देखते हैं।
निमंत्रण मिलने पर जाएंगे वरना…
वहीं, सपा नेता और लोकसभा सांसद डिंपल यादव ने भी इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर हमें निमंत्रण आएगा तो हम अवश्य जाएंगे अगर नहीं आया तो हम बाद में जाएंगे।