15 साल से सोच रहा था महाकाल का टैटू गुदवाऊं,
सिद्धार्थ तिवारी के बनाए धारावाहिक 'महाभारत' में कर्ण का किरदार निभाने वाले थे
अभिनेता पंकज धीर के बेटे निकितिन धीर खुद को महादेव का भक्त बताते हैं। छोटे परदे पर जल्द शुरू होने जा रही रामकथा में उन्हें किरदार रावण का मिला है। उनके पिता पंकज धीर छोटे परदे के दमदार अभिनेता रहे हैं और उन्हें अब भी इस बात का मलाल रहा है कि इस रामकथा को बनाने वाले निर्माता सिद्धार्थ तिवारी की महाभारत में वह कर्ण का किरदार पाने से चूक गए। निकितिन धीर से एक खास मुलाकात।
सुना है आप सिद्धार्थ तिवारी के बनाए धारावाहिक ‘महाभारत’ में कर्ण का किरदार निभाने वाले थे?
जब सिद्धार्थ तिवारी ने ‘महाभारत’ बनाई थी। तब से हम दोनों एक दूसरे से लगातार संपर्क में हैं। और, लगातार साथ काम करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी महाभारत के लिए जब मैंने ऑडिशन दिया था तो सबसे पहले उन्होंने अर्जुन की भूमिका के लिए चयन किया था। फिर उन्होंने कहा कि कर्ण की भूमिका करोगे। मैं कर्ण की भी भूमिका निभाने के लिए तैयार था। मेरे पिता पंकज धीर बी आर चोपड़ा के ‘महाभारत’ में कर्ण का किरदार निभा ही चुके है, इसलिए मैं कर्ण की भूमिका के लिए काफी उत्सुक था। लेकिन, बात बनी नहीं।
एक कलाकार के परफार्मेंस में सेट से कितनी मदद मिलती है?
बहुत मदद मिलती है। जब आप सेट पर आते है। लंका का जो सेट है। मुझे पता है कि आगे कितने कदम पर क्या आएगा। कभी बिना देखे सीढ़ियों के नीचे उतरना और चढ़ना पड़ता है। मुझे याद हो चुका है कि कितने कदम चलने के बाद सीढ़ी के ऊपर चलकर अपने सिंहासन तक पहुंच जाऊंगा। मुझे पता है कि कितने कदम चलने के बाद सेट के किस कोने में पहुंच जाऊंगा। जब सेट आपका अपना हो जाता है तो वह आपका घर हो जाता है। आपको पता है होता है कि कौन सी चीजें कहां रखी हुई है।
आपने रामानंद सागर की ‘रामायण’ देखी है, अगर हां तो रावण के किरदार को देखकर आपके मन में क्या चल रहा था?
मैं बहुत ही छोटा था जब ‘रामायण’ धारावाहिक दूरदर्शन पर आया था। उस समय मैने रावण के बारे में कुछ सोचा ही नहीं था। मैं तो बजरंग बली का प्रशंसक था। मुझे दारा सिंह जी का हनुमान का किरदार बहुत प्रिय था। उनको देखकर बहुत अच्छा लगता था। ऐसा लगता था कि साक्षात बजरंगबली खड़े हैं। मेरी खुशकिस्मती रही है कि उनसे मैं मिल भी चुका था, उनका बहुत आशीर्वाद लिया। मेरे पिता जी उनको जानते थे और हमारा उनके घर पर आना जाना लगा रहता था। हमारे लिए ‘रामायण’ के वही हीरो थे।