गांव के किसान धान-गेहूं छोड़, सब्जियों की खेती से लाखों की कर रहे कमाई
20 एकड़ की जमीन किराए पर लेकर दोनो किसान मचान पद्धति से 12 एकड़ में लौकी गोभी, टमाटर और खीरा की खेती करते है.
रीवा: सही योजना के साथ किसी फील्ड में मेहनत की जाए तो बेहतर नतीजा जरूर मिलता है. फिर चाहे वो खेती किसानी का काम ही क्यूं ना हो. रीवा जिले के रीठी, बर्रेही, और बेलवा गांव के कुछ ऐसे किसान है. जो आज जिले के सभी किसानों के लिए आदर्श बने हुए है. इन किसानों के द्वारा खेती किसानी की आधुनिक तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है. आधुनिक खेती में किसानों के द्वारा सबसे ज्यादा मल्चिंग पद्धति, टपक बूंद पद्धति, और मचान पद्धति का उपयोग किया जा रहा है.रीवा जिले के बेलवा गांव के दो किसान राकेश कुशवाहा और पवन कुशवाहा के पास एक एकड़ भी जमीन नहीं है. लेकिन 20 एकड़ की जमीन किराए पर लेकर दोनो किसान मचान पद्धति से 12 एकड़ में लौकी गोभी, टमाटर और खीरा की खेती करते है. इन सब्जियों के उत्पादन से ये दोनो किसान सालाना 15 से 18 लाख रुपए तक कमा रहा हैं. इससे न सिर्फ किसान परिवारों ने अपने लिए आलीशान घर बनवा लिए है.बल्कि दो दो ट्रैक्टर के मालिक भी बन गए है. जिले के दूसरे किसानों के लिए ये दोनो किसान रोल मॉडल बने हुए है. इस गांव में ऐसे और भी कई किसान है.
बर्रेही गांव के किसान भी किसानी में बने हुए रोलमॉडल
बर्रेही गांव के किसान सलिल गौतम और संत कुमार सिंह भी खेती से लाखों की कमाई कर रहे है. सलिल मेढ़ पद्धति से बैगन की खेती कर तीन महीने में 5 से 6 लाख रुपए की कमाई कर रहे है. सलिल मल्चिंग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती भी कर रहे है.सलिल का कहना है कि शिमला मिर्च की खेती से भी उनकी अच्छी कमाई हो जाती है. वहीं बर्रेही गांव के संत कुमार सिंह भी 26 एकड़ में अमरूद की खेती कर सालाना 24 लाख से अधिक कमा रहे हैं. इनके यहां से उत्तरप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक अमरूद की सप्लाई की जाती है. संत सिंह भी जिले के किसानों के लिए रोल मॉडल बने हुए है.
वैज्ञानिक खेती में आगे है रीठी गांव के किसान
रीवा जिले अंतर्गत रीठी गांव के किसान मशरूम, शिमला मिर्च, गुलाब के साथ साथ आम और अमरुद की खेती के लिए प्रसिद्ध है.रीठी गांव के किसान अमलेश पटेल परंपरागत खेती को छोड़कर संरक्षित खेती कर रहे है. शिमला और गुलाब की खेती इनके द्वारा भी की जा रही है.आधे एकड़ की फसल से ही उन्हें सालाना लाखों रुपये की आय हो रही है. इसके अलावा इसी गांव के किसान मितेश देव सिंह टपक बूंद पद्धति से अमरूद की खेती कर महीने में लाखों की कमाई कर रहे है.