बांदा की जेल से भागीं, मुंडन कराया, ‘लड़का’ बनकर गईं… उमा भारती
राम जन्मभूमि आंदोलन की अगुआ रहीं एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने राम मंदिर को लेकर खास बताचीत
इन दिनों अयोध्या के राम मंदिर की चर्चा पूरे देश में जोर शोर से हो रही है. 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के बाद रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (narendra Modi) ने सभी देशवासियों से इस मौके पर दिवाली मनाने की अपील की है. इस बीच मंदिर के उद्घाटन का समय ज्यों-ज्यों नजदीक आ रहा है, इसके इतिहास और आंदोलन को उतना ही याद किया जा रहा है. ऐसे में अब राम जन्मभूमि आंदोलन की अगुआ रहीं मध्य प्रदेश प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती (Uma Bharti) ने राम मंदिर को लेकर खास बताचीत की है.एबीपी न्यूज से खास बातचीत के दौरान राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए अयोध्या की तरफ कूच करने के सवाल पर उमा भारती ने कहा, ‘अब तो अयोध्या की तरफ जाने के लिए कूच शब्द का इस्तेमाल हो ही नहीं सकता. कूच शब्द का प्रयोग तब हुआ जब मुलालय सिंह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने कहा था कि अयोध्या जो आएगा उसे गोलियों से भून दिया जाएगा, वहां परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा. तब अयोध्या जाना एक वीरता की बात थी. 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों ने अपना शौर्य दिखाया और मस्जिद का ढांचा गिरा दिया उसके कारण पुरातत्व विभाग को खुदाई का मौका मिला और प्रमाण मिल गया, जिसके बाद कोर्ट के सामने जो प्रमाण गए उसके आधार पर शिलान्यास हुआ.’
बांदा की जेल से भागकर पहुंची थीं अयोध्या
वहीं आगे उमा भारती ने कहा कि ‘प्रधानमंत्री ने शिलान्यास के दिन एक ऐसा माहौल बनाया कि देश के सभी हिंदू-मुसलमानों ने एकजुटता के साथ उसे देखा और तब से अयोध्या की विकास यात्रा शुरू हुई. अब तो वहां आनंद का उत्सव है और अब तो आनंद और उल्लास के साथ अयोध्या धाम में प्रवेश करना है, कूच करने का समय समाप्त हो गया है. कूच तो मैंने दो बार किया था. एक बार बांदा की जेल से भागकर सिर मुंडवा कर लड़का बनकर गई थी. दूसरी बार भी मैं संयोग से सन्यास की दीक्षा लेकर सिर मुंडवाकर 6 दिसंबर को पहुंची थी, तो वह कूच का समय था. अब तो आनंद से जाने का समय आ गया है.’
क्यों आई सिर मुंडवाने की नौबत?
एक रिपोर्ट के मुताबिक 90 के दशक में सरकार ने विवादित बाबरी मस्जिद को लोगों के लिए बंद कर दिया, तब सरकार की मनाही के बावजूद उमा भारती वहां जाना चाहती थीं. इसको लेकर उमा भारती ने पहले बताया था कि ‘मुझे मेरे लंबे बाल बहुत प्यारे थे, पर मैं एक मंदिर में गई और नाई से अपने सिर के सारे बाल साफ करा लिए. जब सर गंजा हो गया, तब अयोध्या की सख्त सुरक्षा के बावजूद मैं एक लड़के के भेष में दाखिल होने में कामयाब रही.’