US ने पाकिस्तान के सामने पेश किए थे पक्के सबूत, ISI ने रची थी
ISI की मिलीभगत की जानकारी के बारे में अपनी किताब में लिखा
भारत में 18 सितंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर के उरी सेक्टर में LoC के पास स्थित भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले को लेकर पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया ने अपनी नई किताब ‘एंगर मैनेजमेंट: द ट्रब्ल्ड डिप्लोमेटिक रिलेशनशिप बिटवीन इंडिया एंड पाकिस्तान’ में कई खुलासे किए हैं. उन्होंने किताब में लिखा है कि अमेरिका ने उरी हमले में ISI की भूमिका को लेकर सबूत तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सौंपे थे.HT की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत ने सितंबर 2016 में उस घटना के बाद नवाज शरीफ से मुलाकात की, इस हमले में 19 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले के लिए पाकिस्तान की आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JEM) को जिम्मेदार ठहराया गया था. इससे जुड़े कुछ सबूत अमेरिका ने पाकिस्तान को सौंपे थे.
अमेरिका के पास थे पुख्ता सबूत
पूर्व उच्चायुक्त अजय बिसारिया साल 2017 से लेकर 2020 तक पाकिस्तान में कार्यरत थे. उन्होंने उरी हमलों की योजना बनाने में ISI की मिलीभगत की जानकारी के बारें में अपनी किताब में लिखा है. उन्होंने लिखा है कि सबूत इतने स्ट्रॉंग थे कि शरीफ ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ जांच करने की बात कही. हालांकि, बाद में उन्हें इन्ही कारणों की वजह से 2017 में PML-N पार्टी ने प्रमुख के पद से हटा दिया और अगले ही साल 2018 में देश छोड़कर जाना पड़ा.हालांकि बिसारिया ने उस अमेरिकी दूत का नाम नहीं बताया, जिसने शरीफ से मुलाकात की थी. उस वक्त पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत के पद पर डेविड हेल थे.
उरी हमले में ISI की भूमिका पर अमेरिका की तरफ से दी गई जानकारी से निराश शरीफ ने इस मामले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में नागरिक और सैन्य नेताओं की एक बैठक बुलाई. तब पाकिस्तान के विदेश सचिव ऐज़ाज़ अहमद चौधरी ने कहा था कि देश को राजनयिक अलगाव का सामना करना पड़ रहा. इस बैठक की रिपोर्ट सबसे पहले पाकिस्तान के डॉन अखबार ने अक्टूबर 2016 में की थी. इससे विवाद पैदा हुआ जिसे डॉनगेट के नाम से जाना गया.