दुनिया के सामने फिर पिटी पाकिस्तान की भद्द!
आतंकवाद को लेकर उसे बुरी तरह शर्मसार होना पड़ता है.
हिंदुस्तान के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की दुनिया के सामने फिर से भद्द पिटी है. शुक्रवार (12 जनवरी, 2024) को इसकी बानगी सोशल मीडिया पर भी देखने को मिली. यही वजह रही कि माइक्रो ब्लॉगिंग मंच एक्स (पूर्व में टि्वटर) पर सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान हैशटैग के साथ (#SupremeCourtofpakistan) जमकर ट्रेंड हुआ. एक्स यूजर्स ने इस दौरान वहां के कोर्टरूम में हुई चीफ जस्टिस और जज की बहस को लेकर पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था को लेकर सवाल दागे. लोगों ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि चीफ जस्टिस का बर्ताव बेहद शर्मनाक था और उन्होंने इस दौरान न्याय का मजाक बनाया. ढाई मिनट की वायरल क्लिप सुनवाई के दौरान की थी, जिसमें मौजूदा चीफ जस्टिस काजी फैज इसा एक जज को टोकते हुए दिखे. वह कहते नजर आए, “मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है और न ही मुझे कुछ पता है. मुझे यह मुंशी का कॉन्सेप्ट नहीं समझ आता है. सुप्रीम कोर्ट में मुंशी का कोई कॉन्सेप्ट नहीं है.”
“ऐसी कंप्लेंट तो मैं पढ़ूंगा भी नहीं”
बेहद सख्त तेवर में इसा ने आगे कहा, “आपका मुंशी…मेरा मुंशी से क्या मतलब है? यहां एसएसई या एओआर (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड) है, खत्म. ये मुंशी जो चैंबर में घुस जाते हैं…यह सरासर गलत है. ये चीजें जो शुरू हो जाती हैं कि फलां व्यक्ति का मुंशी आया था. आप खुद आइए, आपका जूनियर आए या एओआर आए…मेरे पास कोई शिकायत नहीं है और मेरे पास किसी मुंशी की कंप्लेंट आई तब मैं उसे पढ़ूंगा भी नहीं.”
जज ने इसके बाद सफाई देने की कोशिश की कि वहां पर उनकी ओर से शिकायत दी गई थी, जिस पर जस्टिस ईसा ने फिर टोका- अभी आप मुंशी-मुंशी कह रहे थे…मेरा मुंशी. आप केस चला लीजिए. आप यह मामला चलाना चाहते हैं या नहीं? मैं मुंशी की शिकायत तो नहीं सुनूंगा.
PAK की किरकिरी ऐसी टाइमिंग पर हुई जब…
सोशल मीडिया पर पाकिस्तान की इस मसले पर फजीहत ऐसे वक्त पर हुई है, जब वहां के टॉप कोर्ट के दूसरे सबसे सीनियर जज न्यायाधीश ने सभी को चौंकाते हुए एक रोज पहले गुरुवार (11 जनवरी, 2024) को पद से इस्तीफा दे दिया था। वह अगले मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में थे.
SJC की जांच से घिरे हुए हैं जस्टिस नकवी
जस्टिस एजाज-उल-अहसन से एक दिन पहले शीर्ष अदालत के एक और जज मजहर अली अकबर नकवी ने भी इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने जस्टिस नकवी का इस्तीफा कबूल लिया था, जो कि कदाचार के आरोपों को लेकर सर्वोच्च न्यायिक परिषद (एसजेसी) की जांच का सामना कर रहे हैं।