गलन भरी ठंड में जनजीवन बेहाल है तो दूसरी तरफ रेलवे ट्रैक भी ठंड से सिकुड़ने लगे हैं। पूर्वोत्तर रेलवे इसे लेकर विशेष सतर्कता बरत रहा है। रेल कर्मियों की 16 टीमों को रात में पटरियों की निगरानी के लिए लगाया गया है। यह टीमें पूरे ट्रैक पर सघन चेकिंग कर रही हैं। हल्के से भी फैक्चर की सूचना तत्काल कंट्रोल रूम को दी जा रही है। अधिकारी दिन-रात जांच के लिए दौड़ लगा रहे हैं।अधिक सर्दी हो या अधिक गर्मी, हर मौसम में रेलवे ट्रैक अपना स्वरूप बदल लेते हैं, जो हादसों का कारण बनते हैं। गलन भरी सर्दी के दौरान सबसे अधिक आशंकाट्रैक फैक्चर की होती है। यही कारण है कि इस मौसम में रेलवे अधिकारियों का पूरा जोर इस पर है। आधुनिकता के बाद ट्रैक की सुरक्षा आज भी ट्रैक मैन व गैंग मैन के हाथ में है। ऐसे में हाथरस सिटी स्टेशन परिक्षेत्र में कुल 16 टीमों को रात के समय पेट्रोलिंग के लिए लगाया गया है। यह टीमें रात भर रेलवे ट्रैक पर टार्च की रोशनी से फैक्चर की जांच करती हैं।
कोहरे में पटाखों से सिग्नल चलाने की व्यवस्था खत्म
कोहरे के दौरान रेलवे की ओर से संचालन में बड़ी कवायद की जाती थी। इसमें पटाखा चलाकर ट्रेनों को सिग्नल देने की व्यवस्था थी, लेकिन बदलते समय में इस व्यवस्था को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। आधुनिक सिग्नल प्रणाली के लागू होने के बाद अब कोहरे में सिग्नल देने के लिए पटरी पर पटाखे रखने की व्यवस्था खत्म होने से काफी राहत है। अब आधुनिक सिग्नल प्रणाली के चलते अब आधुनिक अलर्ट सिस्टम लगाए गए हैं, जो दिक्कत होने पर तुरंत अलर्ट करते हैं और सिग्नल को लाल कर देते हैं।