चीन के दौरे के बीच मुइज्जू और जिनपिंग ने पर्यटन सेक्टर
डिजिटल अर्थव्यवस्था, समुद्री अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए समझौते किए
भारत और मालदीव के बीच गहराते अभूतपूर्व तनाव के बीच मालदीव ने चीन की ओर किनारा कर लिया है. भारत के साथ उसके संबंध दिन-पर-दिन खराब होते जा रहे हैं. चीन के पांच दिवसीय दौरे से लौटने के बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने एलान कर दिया कि भारतीय सैनिक 15 मार्च तक वापस लौट जाएंगे.चीन के दौरे के बीच मुइज्जू और जिनपिंग ने कई समझौते को लेकर सहमति जाहिर किया है. जैसे पर्यटन सेक्टर में चीन की भागीदारी, प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में मदद, डिजिटल अर्थव्यवस्था को लेकर सहयोग और समुद्री अर्थव्यवस्था की बढ़ावा देने में मदद शामिल है. इसके अलावा दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार को लेकर भी कई मीडिया रिपोर्टों में चर्चा की गई है, लेकिन समझौतों की सूची में इसका जिक्र नहीं किया गया है.
भारत को खतरा? चीन और मालदीव के गहरे होते संबंधों से भारत पर क्या असर पड़ेगा, क्या भारत की स्थिति पहले के मुकाबले कमजोर होगी? मालदीव जानता है कि चीन कर्ज के जाल में फांसने के लिए कुख्यात है. इसलिए उसकी कोशिश होगी वह श्रीलंका जैसी गलती न करे. चीन और मालदीव के बीच हुए हालिया समझौते में अन्योनाश्रय संबंध (आपसी निर्भरता वाले संबंध) की झलक दिखती है. यानी चीन का निवेश एकतरफा भले ही है लेकिन अगर समझौता टूटता है तो नुकसान चीन को भी होगा. हालांकि भारत के लिए हिंद महासागर में स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है. कई जानकार मानते हैं मालदीव एक तरह स्विंग स्टेट की तरह बर्ताव कर रहा है. यानी जिस देश से उसके हित सध रहे हैं वह अभी उसके साथ है. चीन हिंद महासागर में मालदीव के साथ अपनी दोस्ती का फायदा उठा सकता है, इस इलाके से चीन अपनी जरूरतों का 80 फीसदी तेल आयात करता है. हिंद महासागर में चीन की गतिविधि बढ़ने से भारत की सुरक्षा खतरे में आ सकती है. मालदीव से भारत की दूरी काफी कम है, इसलिए वहां से भारत पर नजर रखना आसान है.