धार्मिक

प्रेमी-प्रेमिकाओं, नवविवाहितों और पति-पत्नी के लिए वैलेंटाइन डे का समय बहुत खास होता है,

हिंदू धर्म में मां पार्वती और भगवान का वैवाहिक जीवन भी सच्चे प्रेम का प्रतीक है

प्रेमी-प्रेमिकाओं, नवविवाहितों और पति-पत्नी के लिए वैलेंटाइन डे का समय बहुत खास होता है, जिसकी शुरुआत वैलेंटाइन वीक यानी 7 फरवरी से होती है और 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे मनाया जाता है. प्यार हर किसी के जीवन में बहुत मायने रखता है, क्योंकि रिश्ते की डोर को मजबूती के बांधे रखने में प्रेम की खास भूमिका होती है.लेकिन अपने पार्टनर या जीवनसाथी के साथ आपका जीवन तब तक सुखद या मजबूत नहीं हो सकता, जब तक आप प्रेम की सही परिभाषा को नहीं जानेंगे. प्रेम की परकाष्ठा के लिए वैसे तो किसी खास दिन की जरूरत नहीं लेकिन प्रेम के सही अर्थ को जानना बेहद जरूरी है. हिंदू धर्म में मां पार्वती और भगवान का वैवाहिक जीवन भी सच्चे प्रेम का प्रतीक है. इसलिए तो कुंवारी कन्या से लेकर विवाहित सभी शिव-पार्वती की पूजा करते हैं, जिससे उनके जीवन में प्रेम बना रहे.मां पार्वती अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए अक्सर शिवजी से प्रश्न पूछा करती थीं. इसी संदर्भ में एक बार उन्होंने प्रेम को लेकर प्रश्न पूछ लिया. उन्होंने शिवजी से पूछ- प्रेम क्या है और प्रेम का रहस्य क्या है? प्रेम का वास्तविक स्वरूप क्या है. मां पार्वती के इस सवाल का जवाब देते हुए महादेव ने कहा, प्रेम का अर्थ तुम पूछ रही हो पार्वती. तुमने तो प्रेम के अनेकों रूप को उजागर किया है और तुमसे ही प्रेम की अनेक अनुभूतियां हुई हैं.

शिव ने बताई सच्चे प्रेम की परिभाषा (Love Lessons) सती के रूप में प्राण त्यागकर जब तुम मुझसे दूर चली गई थी, तब मेरा जीवन, संसार, दायित्व सब निराधार हो गया था. तुम्हारे अभाव में मेरे अधूरेपन की अति से इस सृष्टि का अपूर्ण होना ही ‘प्रेम’ है.तुम्हारे और मेरे पुनर्मिलन के लिए इस ब्रह्मांड का हर संभव प्रयास करना ही ‘प्रेम’ है.पार्वती के रूप में तुम्हारा पुनर्जन्म लेकर मुझे एकांत और वैराग्य से बाहर निकालना ही ‘प्रेम’ हैं.

मजबूत रिश्ते के 3 सूत्र

प्रशंसा करना न छोड़ें: रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए पार्टनर की छोटी-छोटी चीजों पर की गई प्रशंसा से मनोबल बढ़ता है और यह आपसी प्रशंसा से आपके रिश्ते को मजबूत करने का काम करती है. इससे रिश्ते में प्यार भी बढ़ता है.
बातों को साझा करें: जीवनसाथी को एक-दूसरे के साथ हर बात को साझा करना चाहिए. इससे आप एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जान पाते हैं और जिसके साथ आप अपनी बातों को साझा करते हैं, उसके साथ आपका रिश्ता भी उतना ही गहरा होता है.
प्रेम की मर्यादा को समझें: हर रिश्ते की एक मर्यादा होती है. इसी तरह प्रेमी जीवन और वैवाहिक जीवन की भी कुछ मर्यादा होती है. इस रिश्ते में उम्र का फासला भले कुछ भी हो, लेकिन कोई छोटा या बड़ा नहीं होता. इस बात को हमेशा याद रखें कि इस रिश्ते में आपके द्वारा अपनाया गया गलत आचरण रिश्ते की डोर को कमजोर कर सकता है. इसलिए मर्यादा में रहकर सहजता के साथ अपने रिश्ते मेंअपनापन लाएं.

JNS News 24

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