लाइफस्टाइल
बच्चों में तो फोन देखने की आदत काफी तेजी से विकसित हो रही है,
इमेजिस, वीडियोज, एप्स एक साथ आपके दिमाग पर अटैक करती है.
आज ऐसा समय है जब हर किसी का ज्यादातर टाइम स्क्रीन पर बीत रहा है. स्मार्टफोन के आने के बाद स्क्रीन टाइमिंग में काफी इजाफा हुआ है. लोग घंटों-घंटों लैपटॉप, टीवी और फोन की स्क्रीन पर बीता रहे हैं. बच्चों में तो फोन देखने की आदत काफी तेजी से विकसित हो रही है, जिसका असर उनके स्वास्थ्य पर भी देखने को मिल रही है. इसकी वजह से बच्चों को डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia) की बीमारी हो रही है. जानिए यह बीमारी कितनी खतरनाक है…
डिजिटल डिमेंशिया कितनी खतरनाक बीमारी
डॉक्टर के मुताबिक, कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन और इंटरनेट को ज्यादा इस्तेमाल करने से दिमाग के काम करने की क्षमता कम होती है, इसे ही डिजिटल डिमेंशिया कहते हैं. इसका मतलब स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने हैं तो बहुत सी इमेजिस, वीडियोज, एप्स एक साथ आपके दिमाग पर अटैक करती है. जिससे सबकुछ याद कर पाना दिमाग के बस की बात नहीं रह पाती. दिमाग हमेशा उलझन में ही रहता है.
डिजिटल डिमेंशिया के क्या-क्या लक्षण हैं
भूलने की बीमारी
किसी चीज पर फोकस न कर पाना
किसी चीज को याद न रख पाना
ध्यान केंद्रित न हो पाना
परफार्मेंस में कमी
डिजिटल डिमेंशिया से बच्चों को कैसे बचाएं
1. बच्चों की स्क्रीन टाइम कम करें. उन्हें दो घंटे से ज्यादा स्क्रीन पर न रहने दें. उनके खेलने के लिए प्रोत्साहित करें.
2. डिजिटल चीजों पर निर्भर होने की बजाय, दिमाग का इस्तेमाल करने को कहें. मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर पर लिखने की बजाय पेन-कॉपी पर लिखने को कहें.
3. नई-नई चीजें सीखने के लिए प्रोत्साहित करें. उन्हें कोई नई भाषा, डांस, म्यूजिक और कराटे क्लासेस जॉइन करवा सकते हैं.
4. जब बच्चे ज्यादा देर तक स्क्रीन पर बिताते हैं तो उनमें मोटापे जैसी समस्याएं होती हैं. ऐसे में उनकी फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं. उन्हें आउटडोर गेम्स खेलने भेजें.
5. बच्चे पैरेंट्स से ही काफी कुछ सीखते हैं. ऐसे में उनमें किताबें डालने की आदत विकसित करें. इससे उनका दिमाग तेज होगा.
6. बच्चों को पजल्स गेम्स खिलाएं, नंबर गेम्स उनके दिमाग के लिए अच्छे होते हैं. इससे उनका दिमाग विकसित होता है और उसकी याद करने की क्षमता भी बढ़ती है.