08 मार्च 2024 को है. महाशिवरात्रि का पर्व मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के उपलक्ष्य में हर्षोउल्लास से मनाया जाता है.
शिवजी बाघ की छाल का वस्त्र धारण करते हैं, शरीर में भस्म, जटा में गंगा, माथे पर चंद्रमा और गले में नाग धारण करते हैं.
पंचांग के अनुसार हर साल08 मार्च 2024 को है. महाशिवरात्रि का पर्व मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह के उपलक्ष्य में हर्षोउल्लास से मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां पार्वती और शिवजी का विवाह हुआ था.शिवजी का रूप बहुत ही निराला, आकर्षक, विचित्र और रहस्यमय है. विवाह के समय शिवजी का विख्यात रूप और अनोखे बाराती देख पार्वती जी भी दंग रह गई थीं. शिवजी बाघ की छाल का वस्त्र धारण करते हैं, शरीर में भस्म, जटा में गंगा, माथे पर चंद्रमा और गले में नाग धारण करते हैं. हालांकि इन चीजों को धारण करने के पीछे अलग-अलग रहस्य भी जुड़े हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों शिव गले में नाग धारण करते हैं और इस नाग का क्या नाम है.
गले में सांप क्यों धारण करते हैं शिव (Why Lord Shiva wear Snake his Neck)
शिवजी का गले में नाग धारण करना इस बात को दर्शाता है कि शिवजी की महिमा केवल मानव नहीं बल्कि नागों पर भी है. भगवान शिव मनुष्यों के साथ-साथ नाग-नागिन के भी आराध्य देव हैं और नाग-नागिन भी उन्हें अपना भगवान मानते हैं. इसलिए शिव जी अपने गले में हमेशा रुद्राक्ष की माला के साथ ही सांप भी धारण किए होते हैं. जानिए शिवजी के गले में जो सांप लिपटा है, उसका क्या नाम है.
शिवजी के गले में है वासुकी नाग (Vasuki Nag)
भगवान शिव अपने गले में जो सांप धारण किए हैं, उसका नाम वासुकी नाग (Vasuki Nag) है. नागराज वासुकी भगवान शिव के भक्त थे और शिवजी की भक्ति में लीन रहते थे. पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान नागराज वासुकी ने रस्सी का कार्य किया, जिससे कि सागर को मथा गया. घर्षण के दौरान वासुकी लहूलुहान हो गए. इस तरह वासुकी की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने वासुकी को नागलोक का राजा बनाया और अपने गले में आभूषण की तरह लिपटे रहने का वरदान दिया.
वासुकी कैसे बने शिव के सेवक
नागकुल के सभी नाग शिव के क्षेत्र हिमालय में वास करते थे. शिव को भी नागवंशियों से बहुत लगाव था. प्रारंभ में नागों के पांच कुल थे, जिसमें शेषनाग, वासुकी, तक्षक, पिंगला और कर्कोटक थे. नागों के इन पांच कुल को देवताओं की श्रेणी में रखा गया. इनमें शेषनाग को नागों का पहला राजा माना जाता है, जिसे अनंत नाम से भी जाना जाता है. आगे चलकर शेषनाग के बाद वासुकी नागों के राजा हुए, जो भगवान शिव के सेवक भी बनें. वासुकी के बाद तक्षक और पिंगला ने राज्य संभाला.