महज 11वीं क्लास तक पढ़ा एक शख्स काम की तलाश में पहली बार टूरिस्ट वीजा पर विदेश गया
मलेशिया के एक होटल में काम कर रहा है. वह अपनी कमाई से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं था,
महज 11वीं क्लास तक पढ़ा एक शख्स काम की तलाश में पहली बार टूरिस्ट वीजा पर विदेश गया. बाद में वह विभिन्न देशों में भी टूरिस्ट वीजा पर गया और आज भी वह मलेशिया के एक होटल में काम कर रहा है. वह अपनी कमाई से बहुत ज्यादा संतुष्ट नहीं था, इसलिए उसने विदेश जाने की चाह रखने वाले लोगों को विदेश भेजकर पैसे कमाने की योजना बनाई. इसके लिए उसने गैर कानूनी तरीका अपनाया, जिससे न केवल उसके झांसे में आये लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा बल्कि उसे भी जेल की सलाखों के भीतर जाना पड़ा. यह कोई कहानी नहीं बल्कि उस एजेंट की हकीकत है, जिसकी तलाश में लंबे समय से IGI एयरपोर्ट थाने की पुलिस उसके पीछे पड़ी हुई थी. आखिरकार उसे मुंबई पुलिस ने दबोच लिया. दरअसल, ठगी के इस मामले का खुलासा बीते साल 11/12 अप्रैल की रात उस वक्त हुआ जब सोनीपत, हरियाणा के रहने वाले एक भारतीय हवाई यात्री वंश को थाईलैंड से डिपोर्ट कर वापस इंडिया भेजा दिया गया. दिल्ली एयरपोर्ट पर उसके यात्रा दस्तावेजों समेत पासपोर्ट की जांच में इम्मीग्रेशन अधिकारियों को उसके पासपोर्ट के दो पेज के साथ छेड़छाड़ किए जाने का पता चला. यात्री ने जानबूझकर किसी केमिकल का इस्तेमाल कर उस पर लगे मलेशियन और थाई इम्मीग्रेशन स्टाम्प को मिटा दिया था. इस मामले में IGI एयरपोर्ट थाना पुलिस ने इम्मीग्रेशन डिपार्टमेंट के साथ चीटिंग का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया किया गया था.
12 लाख रुपये में तय हुई थी डील इस मामले में जांच में जुटी पुलिस टीम को आरोपी हवाई यात्री ने बताया था कि 27 जनवरी 2023 को वह टूरिस्ट वीजा पर बैंगलोर से थाईलैंड गया था. एक एजेंट रितेश ने उसे ऑस्ट्रेलिया भेजने का वादा किया था, जिसके लिए 12 लाख रुपये में उनकी डील तय हुई थी. उसने बताया कि एजेंट रितेश ने ही थाईलैंड से मलेशिया में उसे अवैध प्रवेश दिलाया था. उसके पासपोर्ट के लिए मलेशिया और थाईलैंड का फर्जी इम्मीग्रेशन स्टाम्प भी अरेंज किया था. इसके लिए उसने एजेंट के बैंक खाते में तीन लाख रुपये ट्रांसफर किए थे, जबकि बाकी की रकम ऑस्ट्रेलिया पहुंचने पर उसे दिया जाना था.इस मामले में आरोपी एजेंट का नाम सामने आने के बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में जुटी हुई थी. उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था क्योंकि वह जानबूझ कर अपनी गिरफ्तारी से बचने की कोशिश कर रहा था. जिसे देखते हुए इस मामले में उसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर खोला गया था.
शातिर आरोपी को मुंबई से पुलिस ने दबोचा मास्टरमाइंड की गिरफ़्तारी के लिए एसीपी IGIA की देखरेख में एसएचओ विजेंदर राणा के नेतृत्व वाली टीम लगातार जानकारियों को विकसित करने में लगी हुई थी. आखिरकार पुलिस ने मुंबई से मेन एजेंट को दबोच लिया. आरोपी की पहचान हरियाणा के सोनीपत निवासी रितेश के रूप में हुई है.
पैसे की लालच में शुरू किया ठगी का काम पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि वह मलेशिया के एक होटल में काम करता है, लेकिन वह जल्दी और ज्यादा पैसे कमाने की चाह में अपने एक साथी के साथ मिल कर भोलेभाले लोगों को सस्ती कीमत पर अप्रूव्ड वीजा और पासपोर्ट दिलाने और फिर विदेश भेजने का झांसा देकर ठगी करने लगा. इस मामले में पुलिस ने आरोपी एजेंट को गिरफ्तार कर उसके साथी की तलाश में जुट गई है.