उत्तर प्रदेश के बांदा में मौत हो गई. बांदा की जेल में 3 साल से बंद
दो साल बाद योगी आदित्यनाथ ने फिर दी मुख्तार अंसारी को चुनौती
खूंखार माफिया और गैगस्टर मुख्तार अंसारी की उत्तर प्रदेश के बांदा में गुरुवार (28 मार्च) को रात को मौत हो गई. बांदा की जेल में 3 साल से बंद इस दुर्दांत अपराधी की भले ही मौत हो गई हो लेकिन उससे जुड़े अपराधों के किस्से अभी भी तैर रहे हैं. इसी तरह की एक घटना साल 2008 में हुई थी जब मुख्तार अंसारी ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफिले पर हमला कराया था.सीएम योगी के साथ मुख्तार की अदावत की कहानी उस वक्त शुरू होती है जब साल 2005 में मऊ के अंदर दंगा होता है. इस दौरान वो खुली जीप में दंगे वाले इलाकों में घूमता रहा था. उसी पर दंगा भड़काने का आरोप भी लगा था. उस वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से सांसद हुआ करते थे. साल 2006 में उन्होंने मुख्तार अंसारी को चुनौती देते हुए कहा था कि वह मऊ दंगों के पीड़ितों को इंसाफ दिलाकर रहेंगे.उस वक्त न तो यूपी में बीजेपी सरकार थी और न ही उनकी कोई खास पैठ थी, ऐसे में सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को मऊ में घुसने ही नहीं दिया गया औऱ दोहरीघाट पर ही रोककर वापस गोरखपुर के लिए भेज दिया जाता है.
इसके दो साल बाद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती देते हुए कहा कि वो हिंदू युवा वाहिनी के नेतृत्व में आजमगढ़ के आतंकवाद के खिलाफ रैली निकालेंगे. 7 दिसंबर 2008 की तारीख तय होती है और जगह चुनी जाती है डीएवी कॉलेज का मैदान. इस रैली को संबोधित करने का जिम्मा भी योगी आदित्यनाथ को मिला था.जब वो दिन आता है तो योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से 40 गाड़ियों के काफिले के साथ आजमगढ़ के लिए निकलते हैं. यहां के तकिया इलाके में लाल रंग की एसयूवी में बैठे योगी आदित्यनाथ की गाड़ी पर अचानक से ही पथराव होने लगा, हवा में फायरिंग शुरू हो गई. ऐसे में योगी आदित्यनाथ के गनर ने भी गोलियां चलाईं. इसके बाद वहां पर जमकर बवाल हुआ. चूंकि हमला सुनियोजित था तो योगी आदित्यनाथ ने दूसरी गाड़ी में बैठकर अपनी जान बचाई थी.योगी के काफिले पर फेंका गया था बम’ मुताबिक, पूर्व पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने कहा, “चूंकि एकतरफा कार्रवाई हो रही थी तो जान से मारने के लिए योगी के काफिले पर बम फेंका गया. ये तो संयोग था कि उनकी गाड़ी बदल दी गई, नहीं तो उस वक्त बहुत बड़ा हादसा हो सकता था.’