धार्मिक
चैत्र महीना 26 मार्च से शुरू होकर 23 अप्रैल तक रहेगा. इस महीने के तीज-त्योहार बेहद खास होते हैं
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नववर्ष शुरू हो जाता है
चैत्र महीना 26 मार्च से शुरू होकर 23 अप्रैल तक रहेगा. इस महीने के तीज-त्योहार बेहद खास होते हैं, क्योंकि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष से ही हिंदू नववर्ष शुरू हो जाता है.इस महीने ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि रची थी और भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था. चैत्र महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि में होता है और इसी महीने में पहली ऋतु होती है यानी वसंत का मौसम होता है.हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र शुरू हो गया है. 15 दिनों बाद यानी 9 अप्रैल को हिंदू नववर्ष शुरू होगा. चैत्र माह के पहले 15 दिनों की गिनती नए साल में नहीं होती, क्योंकि इन दिनों चंद्रमा अंधेरे की ओर यानी अमावस्या की तरफ बढ़ता है.इन 15 दिनों में चंद्रमा लगातार घटता है और अंधेरा बढ़ता है. सनातन धर्म तमसो मां ज्योतिर्गमय यानी अंधेरे से उजाले की तरफ जाने की बात करता है, इसलिए चैत्र महीने की अमावस्या के अगले दिन पहली तिथि को जब चंद्रमा बढ़ने लगता है तभी नववर्ष मनाते हैं.चैत्र महीने में सूर्य अपनी उच्च राशि, मेष में प्रवेश करता है. इन दिनों वसंत ऋतु रहती है और मौसम भी बदलता है, जिससे सेहत संबंधी बदलाव भी होते हैं. इस महीने को भक्ति और संयम का महीना भी कहा जाता है. क्योंकि इन दिनों में कई व्रत और पर्व आते हैं.सेहत को ध्यान में रखते हुए इस महीने में आने वाले व्रत-पर्व की परंपराएं बनाई गई हैं. इस महीने में सूर्योदय से पहले उठकर ठंडे पानी से नहाना चाहिए. इसके बाद उगते हुए सूरज को अर्घ्य देकर दिनभर में एक बार ही खाना खाना चाहिए.ऐसा करने से बीमारियों से बचे रहते हैं और उम्र भी बढ़ती है. ये बातें पुराणों के साथ ही आयुर्वेद ग्रंथों में कही गई है. पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी.इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था. प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई.
ब्रह्म और नारद पुराण:ब्रह्मा जी ने की सृष्टि की रचना
सनातन काल गणना में चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि से ही नववर्ष शुरू होता है, क्योंकि ब्रह्म और नारद पुराण के मुताबिक इसी दिन ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी. सृष्टि की रचना के करीब दो अरब साल बाद सम्राट विक्रमादित्य ने नया संवत् चलाया.
ये उसी दिन से शुरू होता है जिस दिन सृष्टि बनी थी. ब्रह्माण्ड पुराण में इस तिथि को नए संवत्सर की पूजा करने का विधान बताया गया है. तिथि और पर्व तय करने वाले ग्रंथ निर्णय सिन्धु, हेमाद्रि और धर्म सिन्धु में इस तिथि को पुण्यदायी कहा गया है. इस तिथि को युगादि कहा जाता है. यानी इस दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी.इस विक्रम संवत में दो तरह से महीनों की गिनती होती है. महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत में अमावस्या खत्म होने के बाद नए महीने की शुरुआत होती है. वहीं, उत्तर भारत सहित ज्यादातर जगहों पर पूर्णिमा के अगले दिन से नया महीना शुरू होता है.इसी कारण होली के अगले दिन नया महीना तो लग जाता है. लेकिन हिंदू नववर्ष महीने के 15 दिन बीतने के बाद शुरू होता है.
चैत्र में हुआ भगवान विष्णु का पहला अवतार
पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी. इसी दिन भगवान विष्णु ने दशावतार में से पहला मत्स्य अवतार लेकर प्रलयकाल में जल में से मनु की नौका को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया था. प्रलयकाल खत्म होने पर मनु से ही नई सृष्टि की शुरुआत हुई.
चैत्र महीने में क्या करें और क्या नहीं करें
- महाभारत के मुताबिक इस महीने एक समय खाना-खाना चाहिए. नियमित रूप से भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करनी चाहिए और व्रत भी करने चाहिए.
- इस महीने सूर्योदय से पहले उठकर ध्यान और योग का विधान है. ऐसा करने से तनावमुक्त और स्वस्थ्य रहते हैं.
- इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना करना चाहिए, जिससे पद-प्रतिष्ठा के साथ ही शक्ति और ऊर्जा भी मिलती है.
- चैत्र महीने के दौरान नियम से पेड़-पौधों में जल डालना चाहिए और लाल फलों का दान करना चाहिए.
- चैत्र महीने में एक वक्त खाना खाने से बीमारियों से बचे रहते हैं. इस महीने में गुड़ खाने की मनाही है. वहीं, नीम के पत्ते खाने की बात आयुर्वेद कहता है.
- सोने से पहले हाथ-मुंह धोने चाहिए और पतले कपड़े पहनने चाहिए. हल्के कपड़े पहनने चाहिए. संतुलित श्रंगार करना चाहिए.
- इस महीने भोजन में अनाज का उपयोग कम से कम और फलों का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए. इस महीने से बासी भोजन, खाना बंद कर देना चाहिए.
- आयुर्वेद के मुताबिक इस महीने में ठंडे जल से स्नान करना चाहिए और गर्म पानी से नहीं नहाना चाहिए.
न करें दूध का सेवन: चैत्र मास में पेट का पाचन थोड़ा सा कमजोर हो जाता है, इसलिए इस महीने में दूध का सेवन करना बंद कर दें. इस महीने में दूध का सेवन करना नुकसानदेह हो सकता है. दूध की बजाए इस महीने में दही और मिसरी का सेवन करने से लाभ होगा.
कर दें नमक का त्याग: चैत्र मास में नमक का सेवन न करें. इस महीने में कम से कम 15 दिन नमक का सेवन न करें. अगर नमक का त्याग न कर सकें तो आप सेंधा नमक भी खाकर काम चला सकते हैं. इस महीने में जिन लोगों को हाई बीपी रहता है उनके लिए नमक छोड़ देना सबसे ज्यादा लाभ देने वाला होता है.
न करें अधिक तला भुना भोजन: चैत्र मास में तली भुनी चीजों का प्रयोग कम से कम करें. इस महीने में आपको अपच की समस्या रहती है. इस महीने में आपको अधिक से अधिक फलों का सेवन करना चाहिए. तरल चीजों का प्रयोग करें और पानी वाले फल अधिक खाएं.
चैत्र मास व्रत-त्योहार सूची (Chaitra Month 2024 Vrat Festival List) |
तिथि (Date) | वार (Day) | व्रत-त्योहार (Vrat-Festival) |
28 मार्च 2024 | गुरुवार | भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी |
30 मार्च 2024 | शनिवार | रंग पंचमी |
01 अप्रैल 2024 | सोमवार | शीतला सप्तमी |
02 अप्रैल 2024 | मंगलवार | शीतला अष्टमी |
05 अप्रैल 2024 | शुक्रवार | पापमोचनी एकादशी |
06 अप्रैल 2024 | शनिवार | शनि प्रदोष व्रत |
07 अप्रैल 2024 | रविवार | मासिक शिवरात्रि |
08 अप्रैल 2024 | सोमवार | चैत्र अमावस्या, सोमवती अमावस्या, सूर्य ग्रहण |
09 अप्रैल 2024 | मंगलवार | चैत्र नवरात्रि, घटस्थापना, गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती |
10 अप्रैल 2024 | बुधवार | चेटी चंड |
11 अप्रैल 2024 | गुरुवार | गणगौर, मत्स्य जयंती |
12 अप्रैल 2024 | शुक्रवार | विनायक चतुर्थी |
13 अप्रैल 2024 | शनिवार | मेष संक्रांति |
14 अप्रैल 2024 | रविवार | यमुना छठ |
16 अप्रैल 2024 | मंगलवार | महातारा जयंती |
17 अप्रैल 2024 | बुधवार | चैत्र नवरात्रि पारणा, रामनवमी, स्वामी नारायण जयंती |
19 अप्रैल 2024 | शुक्रवार | कामदा एकादशी |
21 अप्रैल 2024 | रविवार | महावीर स्वामी जयंती |