उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर हर पार्टी अपने दांव पेंच लगा रही है.
1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने राजबब्बर को चुनाव में उतारा
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर हर पार्टी अपने दांव पेंच लगा रही है. इस बार फिर से कई फिल्म स्टार्स अलग-अलग पार्टियों के जरिए मैदान में आने की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन खास बात यह है कि राज्य की एक ऐसी लोकसभा सीट है जिसपर हर बार नए फिल्म स्टार पर दांव लगाया गया और हर बार हार हुई. दरअसल, हम बीजेपी का गढ़ लखनऊ की बात कर रहे हैं. इस सीट पर 1996 के लोकसभा चुनाव से लगभग हर बार बीजेपी के खिलाफ विरोधी पार्टियों ने फिल्म स्टार्स के जरिए जीत का रास्ता खोजने की कोशिश की. लेकिन कभी उन्हें सफलता नहीं मिली. सबसे पहले 1996 के चुनाव में समाजवादी पार्टी ने राजबब्बर को चुनाव में उतारा लेकिन उन्हें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सामने हार का सामना करना पड़ा था.
पूर्व पीएम से सामने दो बार हुई हार
अटल बिहारी वाजपेयी ने यह चुनाव करीब 1.18 लाख वोटों के अंतर से जीता था. इसके बाद 1998 के लोकसभा चुनाव में सपा ने फिर से फिल्म निदेशक मुजफ्फर अली को मैदान में उतारा. इस बार फिर उन्हें पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के सामने हार का सामना करना पड़ा. यह चुनाव उन्होंने करीब 2.15 लाख वोट के अंतर से जीता था. इसके बाद 1999 और 2004 के चुनाव में लखनऊ से कोई फिल्म स्टार चुनाव नहीं लड़ा.लेकिन 2009 में सपा ने बीजेपी उम्मीदवार रहे लालजी टंडन के खिलाफ एक्ट्रेस नफीसा अली को उम्मीदवार बनाया था. लेकिन वह चौथी नंबर पर रहीं. फिर 2014 के चुनाव में लखनऊ से कोई फिल्म स्टार मैदान में नहीं उतरा. इसके बाद 2019 को लोकसभा चुनाव में सपा ने वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के खिलाफ एक्टर शत्रुघन सिन्हा की पत्नी और फिल्म जगत से जुड़ी हस्ती पूनम सिन्हा को उम्मीदवार बनाया था. इस बार फिर पूनम सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा था. इस चुनाव में राजनाथ सिंह ने करीब 2.48 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. यानी देखा जाए तो चार बार फिल्म स्टार्स मैदान में उतरे और हर बार उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा है.