ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहे लोगों को निराशा हाथ लगी है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति
14 महीने पहले फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था. उस समय रेपो रेट को बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया था.
ब्याज दरों में कमी की उम्मीद कर रहे लोगों को निराशा हाथ लगी है. रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने एक बार फिर से नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी. उन्होंने कहा कि एमपीसी ने वृहद आर्थिक परिस्थितियों की समीक्षा करने के बाद बहुमत से रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया है. एमपीसी के 6 सदस्यों में से 5 ने रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला लिया.रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास मौद्रिक नीति समिति की तीन दिनों की बैठक के बाद आज नतीजों की जानकारी दे रहे थे. उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का फैसला लिया है. यह लगातार सातवीं एमपीसी बैठक है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है. रिजर्व बैंक की एमपीसी ने आखिरी बार 14 महीने पहले फरवरी 2023 में रेपो रेट में बदलाव किया था. उस समय रेपो रेट को बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया था.
वित्त वर्ष 2024-25 की पहली बैठक रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की यह बैठक 3 अप्रैल को शुरू हुई थी और आज समाप्त हुई. हर वित्त वर्ष में दो-दो महीने के अंतराल पर मौद्रिक नीति समिति की कुल छह बैठकें होती हैं. यह 1 अप्रैल 2024 से शुरू हुए वित्त वर्ष 2024-25 की पहली एमपीसी बैठक थी. उससे पहले 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष 2023-24 की सभी छह बैठकों में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर बनाए रखा गया था.
ऐसी हैं वृहद आर्थिक परिस्थितियां
अभी खुदरा महंगाई की दर 5 फीसदी से ज्यादा बनी हुई है. रिजर्व बैंक इसे 4 फीसदी के नीचे ले जाना चाहता है. फरवरी महीने में खुदरा महंगाई कम होकर 5.09 फीसदी पर आ गई थी. मार्च महीने के आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं. वहीं अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर शानदार बनी हुई है. दिसंबर तिमाही में जीडीपी गोथ रेट 8 फीसदी से ज्यादा रही थी. मार्च तिमाही और पूरे वित्त वर्ष 2023-24 में ग्रोथ रेट 8 फीसदी से ज्यादा रहने की उम्मीद की जा रही है.आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खुदरा महंगाई भले ही मौजूदा सीरीज में निचले स्तर पर आ गई हो, लेकिन अभी खाने-पीने की चीजों के मामले में महंगाई की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है.