रमजान दुनियाभर के मुसलमानों का सबसे पवित्र महीना होता है.यह इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना है,
शाबान महीने (इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना) के आखिरी दिन चांद (Moon) नजर आने के बाद होती है
रमजान दुनियाभर के मुसलमानों का सबसे पवित्र महीना होता है. यह इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) का नौंवा महीना है, जिसकी शुरुआत शाबान महीने (इस्लामी कैलेंडर का आठवां महीना) के आखिरी दिन चांद (Moon) नजर आने के बाद होती है.रमजान (Ramazan) के पूरे महीने में मुसलमान रोजा रखते हैं. रमजान का पाक महीना रोजा रखने के साथ ही अल्लाह की इबादत करने, धार्मिक ग्रंथों का पाठ करने और जकात आदि जैसे नेक कामों के लिए अच्छा अवसर भी होता है.रमजान के आखिरी दिन चांद का दीदार होने के बाद शव्वाल महीने (इस्लामिक कैलेंडर का 10वां महीना) की पहली तारीख को ईद (Eid al-Fitr 2024) का त्योहार मनाया जाता है.माह-ए-रमजान की शुरुआत इस साल 11 मार्च 2024 से हो चुकी है और अब रमजान खत्म होने में चंद दिन बचे हुए है. पहले रमजान का महीना गर्मियों में शुरू होता है, जिसमें रोजेदार भूख-प्यास का कष्ट सहते हुए रोजा रखकर अल्लाह की इबादत करते थे.लेकिन इस साल मुबारक महीने रमजान की शुरुआत हल्दी सर्दी में हुई है. ऐसे में रोजेदारों को रोजा रखने में कुछ सहुलियत महसूस हो रही है.लगभग 35 साल बाद इस साल मिड मार्च में रमजान की शुरुआत हुई. ऐसे में रमजान में रोजा रखने का एक बड़ा हिस्सा (लगभग 20 दिन) मार्च में ही पड़ा. मार्च का मध्य सभी ऋतुओं में सबसे अनुकूल माना जाता है. क्योंकि इस समय न अधिक गर्मी होती है और न अधिक ठंड.लेकिन पिछले कई सालों से रमजान की शुरुआत गर्मियों में हो रही है. साल 2023 में भी रमजान महीने की शुरुआत मार्च के आखिर में हुई थी और 23 अप्रैल को रमजान की समाप्ति हुई.वहीं इस वर्ष 9 अप्रैल को ही रमजान का महीना खत्म हो जाएगा और देश में 10 अप्रैल 2024 को ईद का त्योहार मनाया जा सकता है. आपको बता दें कि इससे पहले सन् 1991 और 1992 में रमजान महीने की शुरुआत मिड मार्च में हुई थी.इस्लामिक कैलेंडर की गणना कैसे होती हैइस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा की चाल पर आधारित है. यही कारण है कि इस्लाम में चांद के दीदार को विशेष महत्व दिया गया है. जानकारों की माने तो हर साल लगभग 11 दिन घटते जाते हैं. यही कारण है कि इस वर्ष रमजान मार्च-अप्रैल में है.आखिर हर साल क्यों बदल जाती है रमजान की तारीखइस साल ठंड में रोजा पड़ने के कारण कई लोगों के मन में यह सवाल होंगे कि आखिर चिलचिलाती और भीषण गर्मी में पड़ने वाला रमजान आखिर इस साल सर्दियों में कैसे?
दरअसल हिंदू कैलेंडर में जिस तरह हर साल चैत्र, वैशाख अश्विन सावन आदि महीने की तारीखों में बदलाव होता है. ठीक इसी तरह से इस्लामिक कैलेंडर के महीनों की तारीखों में भी बदलाव होते हैं. हिंदू पंचांग (Hinu Panchang) में सूर्योदय के साथ तिथि की शुरुआत होती है.लेकिन यहां पर भी चंद्रमा की गति को भी वरियता दी गई है. क्योंकि नक्षत्रों की भी गणना की जाती है. कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष का निर्धारण भी चंद्रमा से ही किया जाता है. पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियां इसका उदाहरण हैंवहीं इस्लामी कैलेंडर में नए तिथि की शुरुआत सूर्यास्त के समय शुरू होती है. इसलिए इस्लामी कैलेंडर को चंद्र कैलेंडर (हिजरी कैलेंडर) के रूप में जाना जाता है.इसमें एक साल में 12 महीने चंद्रमा चक्र पर आधारित होते है. धार्मिक मामलों के लिए हर मुसलमान चंद्र कैलेंडर की तिथियों का ही पालन करते हैं.ऐसे में चंद्रमा के चरणों पर आधारित इस्लामिक कैलेंडर के 12 महीने में 354 दिन होते हैं, जोकि मानक ग्रेगोरियन कैलेंडर से 11 दिन (365-354=11) कम है.ऐसे में हर साल इस्लामिक कैलेंडर 11 दिन पीछे चलता है. इसलिए रमजान महीने का पहला दिन, जोकि इस्लामी कैलेंडर का नौंवा महीना है, वह हर साल 11 दिन पीछे चलता है.इसलिए साल-दर-साल न केवल रमजान की तारीख में अंतर होता है. बल्कि तारीख के साथ ही महीने और ऋतुओं में भी अंतर हो जाता है.
इस्लामिक कैलेंडर के 12 महीनों के नाम (12 Islamic Months) |
1 | मुहर्रम (Muḥarram) |
2 | सफ़र (Safar) |
3 | रबीउल अव्वल (Rabi-al-awwal) |
4 | रबीउल आखिर (Rabi- ath-thani) |
5 | जमादियुल अव्वल (Jumada-al-ula) |
6 | जमादियुल आखिरी (Jumada-al-akhirah) |
7 | रजब (Rajab) |
8 | शाबान (Shaban) |
9 | रमजान (Ramadan) |
10 | शव्वाल (Shawwal) |
11 | जिलकाद (Dhu al-Qadah) |
12 | जिलहिज्जा (Dhu al-Hijjah) |
रमजान की तारीख को लेकर हर साल भ्रम क्यों?
ग्रेगोरियन और इस्लामिक कैलेंडर में लगभग 11 दिन का अंतर होता है, जिस कारण रमजान महीने की तारीख में भी साल-दर-साल बदलाव होता है. लेकिन रमजान महीने की शुरुआत किस दिन से होगी, इसे लेकर भी हर साल भ्रम की स्थिति रहती है.केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के मुसलमानों को सटीक तौर पर यह जानकारी नहीं होती कि आखिर रमजान महीने की पहली तारीख क्या होगी यानि किस दिन से रमजान की शुरुआत होगी. ऐसा कैसे होता है, इसे भी समझने की कोशिश करते हैं-दरअसल इसका संबंध चंद्रमा से होता है. क्योंकि इस्लामिक कैलेंडर चंद्रमा पर आधारित होता है. लेकिन इसी के साथ इसका संबंध विज्ञान, इतिहास और पंरपरा से भी जुड़ा है.इस्लामिक कैलेंडर में नए महीने की शुरुआत अमावस्या (Amavasya 2024) तिथि से होती है. यानी रमजान का महीना भी अमावस्या तिथि से शुरू होगा.लेकिन यह इतना भी सरल नहीं है. रमजान की पहली तारीख क्या होगी यह अमावस्या तिथि के साथ ही चंद्रमा की कलाओं पर भी निर्भर करता है.आज के समय लोग दूरबीन और खगोलीय व वैज्ञानिक गणनाओं से चंद्रमा के दर्शन कर सकते हैं. लेकिन पहले के समय में मुसलमान पारंपरिक रूप से रमजान का रोजा शुरू करने के लिए तब तक इंतजार करते थे, जब तक आसमान में अर्धचंद्रमा के दर्शन न हो जाए.इसे लेकर पैंगंबर मोहमम्द से जुड़ी एक कहावत भी है कि, है कि उपवास शुरू करने के लिए तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि आसमान में अर्धचंद्र न देख लें.इसलिए मुस्लिम विद्वान, पैगंबर मोहम्मद के कहेनुसार शाम (रात के शुरू होने से पहले) में आकाश में हल्का अर्धचंद्र देखने का इंतजार करते हैं और इसके दर्शन के बाद ही रमजान की तिथि निर्धारित होती है.