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प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में सबसे आम कैंसर है. यह अमेरिका में कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है

2040 तक बढ़कर 7 लाख तक पहुंच सकती है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि असल में इससे कहीं ज्यादा मौतें हो सकती हैं,

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में सबसे आम कैंसर है. यह अमेरिका में कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा सबसे बड़ा कारण है. यह कैंसर आमतौर पर बहुत धीरे-धीरे अपना असर दिखाता है. पुरुषों को इस बीमारी का पता देर से चलता है जिससे इलाज करना मुश्किल हो जाता है.दुनियाभर में प्रोस्टेट कैंसर के मामले आने वाले सालों में तेजी से बढ़ सकते हैं. एक अध्ययन के अनुसार, 2020 तक हर साल 14 लाख लोगों को यह बीमारी होती थी, ये आंकड़ा 2040 तक बढ़कर 29 लाख पहुंच सकता है. यानी हर घंटे करीब 330 पुरुषों को ये बीमारी होने का अनुमान है. साथ ही, दुनियाभर में इस बीमारी से होने वाली मौतों की संख्या भी अगले 20 सालों में 85 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है. 2020 में 3 लाख 75 हजार लोगों की मौत हुई थी, जो 2040 तक बढ़कर 7 लाख तक पहुंच सकती है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि असल में इससे कहीं ज्यादा मौतें हो सकती हैं, क्योंकि गरीब और विकासशील देशों में कई बार बीमारी का पता नहीं चल पाता या आंकड़े दर्ज नहीं हो पाते.प्रोस्टेट पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक छोटा और मुलायम हिस्सा होता है. इसका आकार अखरोट या पिंग-पोंग की गेंद के बराबर होता है, यानी करीब 30 ग्राम वजन. आमतौर पर यह ग्रंथि छूने में मुलायम और चिकनी महसूस होती है.ये ग्रंथि लिंग और मूत्राशय के बीच में स्थित होती है. पेशाब और वीर्य को शरीर से बाहर निकालने वाली नली (यूरेथ्रा) प्रोस्टेट के बीच से होकर गुजरती है. यह नली पेशाब को मूत्राशय से बाहर निकालने का काम करती है. क्योंकि प्रोस्टेट इस नली को घेरे रहती है, इसलिए प्रोस्टेट की समस्याएं पेशाब करने में दिक्कत पैदा कर सकती हैं.उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार थोड़ा बढ़ जाता है. इससे पेशाब की नली थोड़ी सिकुड़ सकती है, जिससे पेशाब करने में दिक्कत हो सकती है. इस स्थिति को बेनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (Benign Prostatic Hyperplasia) कहते हैं.

अब जानिए कैसे होता है प्रोस्टेट कैंसर 
कभी कभी प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से पेशाब का रास्ता रुक जाता है.  जिसकी वजह से पेशाब रुककर मूत्राशय में जमा हो जाता है. यह पानी की टंकी की तरह हो जाता है, जहां थोड़ा-बहुत पेशाब निकलता रहता है, लेकिन मूत्राशय के अंदर करीब 1 से डेढ़ लीटर पेशाब जमा रह जाता है. ऐसी स्थिति में ये प्रोस्टेट कैंसर को जन्म देता है.प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती दौर में तो कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. लेकिन जब बीमारी बढ़ जाती है तब ये तकलीफें हो सकती हैं: पेशाब करने में दिक्कत, पेशाब की धारा कमजोर होना, पेशाब में खून आना, वीर्य में खून आना, हड्डियों में दर्द, बिना किसी खास वजह के वजन कम होना, इरेक्शन (लिंग का कड़ा होना) में परेशानी.

भारत में कितने लोग प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित
लैंसेट नाम की एक संस्था की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में भी प्रोस्टेट कैंसर के मामले 2040 तक दोगुने हो सकते हैं. ये रिपोर्ट कैंसर रिसर्च करने वाली टीम ने तैयार की है. उनके मुताबिक 2040 तक हर साल करीब 71 हजार भारतीय पुरुष प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित हो सकते हैं. अभी भारत में हर साल करीब 33,000 से 42,000 प्रोस्टेट कैंसर के मामले सामने आते हैं, जो कुल कैंसर मामलों का तीन फीसदी है.रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारत में ज्यादातर मरीजों का पता देर से चलता है यानी जब कैंसर फैल चुका होता है. इस कारण करीब 65 फीसदी (18 हजार से 20 हजार) मरीजों की इस बीमारी से मौत हो जाती है. यही सबसे बड़ी चिंता की बात है.रिपोर्ट में पुणे के एक 64 साल के डॉक्टर का जिक्र है, जिन्हें कमर दर्द की शिकायत के बाद पता चला कि उन्हें प्रोस्टेट कैंसर है. वो भी काफी गंभीर अवस्था में था. ये कैंसर उनकी रीढ़ की हड्डी में भी फैल चुका था, जबकि शुरुआती जांच में पेशाब करने में तकलीफ जैसा कोई लक्षण सामने नहीं आया था.

प्रोस्टेट में परेशानी का मतलब हमेशा कैंसर होता है?
नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है. कई और चीजें भी प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकती हैं. 50 साल से कम उम्र के पुरुषों में अगर प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ी हुई लगती है, तो आमतौर पर यह प्रोस्टेटाइटिस होता है. यह एक ऐसी समस्या है जिससे प्रोस्टेट ग्रंथि में सूजन आ जाती है. अक्सर बैक्टीरिया के संक्रमण से ये दिक्कत होती है.

भारत में क्यों बढ़ रहे प्रोस्टेट कैंसर के मामले?
जैसे-जैसे लोगों की उम्र बढ़ती है, प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा भी बढ़ जाता है. 60 साल से ऊपर के पुरुषों में यह बीमारी ज्यादा होती है. पहले लोग इस बीमारी के बारे में कम जानते थे. अब जागरूकता बढ़ने के कारण लोग डॉक्टर के पास जांच करवाने लगे हैं, जिससे मामलों में बढ़ोतरी दिख रही है. कुछ लोगों में प्रोस्टेट कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है, अगर उनके परिवार में किसी सदस्य को पहले से किसी को यह बीमारी है. धूम्रपान, मोटापा, खराब खानपान और गलत लाइफस्टाइल भी प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ा देते हैं.

प्रोस्टेट कैंसर का जल्दी पता लगाना क्यों जरूरी है?
प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती चरणों में कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. परेशानी तब बढ़ती है जब बीमारी काफी गंभीर हो जाती है. तब पेशाब करने में दिक्कत, हड्डियों में दर्द, पेशाब करते समय खून आना जैसे लक्षण सामने आते हैं. 60 साल से ज्यादा के भारतीय पुरुषों के लिए शुरुआती जांच बहुत जरूरी है.हालांकि डॉक्टर सभी पुरुषों को जांच कराने की सलाह नहीं देते हैं, लेकिन अगर किसी उम्रदराज पुरुष को बार-बार पेशाब आना, रात में पेशाब आना, पेशाब करने में कमजोरी महसूस होना, पेशाब करते समय दर्द होना या खून आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो उन्हें डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर उन्हें अक्सर पीएसए ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं. कुछ डॉक्टर डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE) कराने की भी सलाह देते हैं.

प्रोस्टेट कैंसर से कैसे करें अपना बचाव
प्रोस्टेट कैंसर को पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता है मगर कुछ आदतें अपनाकर आप इस खतरे को कम कर सकते हैं. सबसे पहले अपने डॉक्टर से पूछें कि आपको कितनी बार प्रोस्टेट की जांच करवानी चाहिए. आपका जोखिम कम है या ज्यादा, इसी के आधार पर जांच का समय तय होगा. हर हफ्ते कम से कम 150 मिनट तक एक्सरसाइज करें. यानी हर दिन कम से कम 20 मिनट. कैंसर को रोकने के लिए कोई खास डाइट तो नहीं है, लेकिन अच्छा खाने की आदतें आपकी सेहत को जरूर बेहतर बनाती हैं. फल, सब्जियों और साबुत अनाज खूब खाएं. मांस और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें. तंबाकू के सेवन से दूर रहें. अगर सिगरेट पीते हैं, तो डॉक्टर की मदद से धूम्रपान छोड़ने की प्लानिंग बनाएं.

JNS News 24

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