जिले में मुधमेह, हृदय आदि के रोगियों को सामान्य स्तर का इलाज ही सुलभ हो पाता है।
200 मरीज मधुमेह की जांच के लिए प्रतिदिन जिला अस्पताल पहुंचते हैं।
कासगंज। जिले में मुधमेह, हृदय आदि के रोगियों को सामान्य स्तर का इलाज ही सुलभ हो पाता है। एडवांस इलाज के लिए जिले में इलाज के साधन उपलब्ध हैं और न ही जांच हो पाती है। मधुमेह और हृदय रोग के विशेषज्ञ चिकित्सक भी नहीं हैं। मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 200 मरीज मधुमेह की जांच के लिए प्रतिदिन जिला अस्पताल पहुंचते हैं।अनियमित दिनचर्या, खानपान, तनाव भरा माहौल मधुमेह का कारण बना हुआ है और यही स्थिति रक्तचाप के मरीज बढ़ा रही है। रक्तचाप और मधुमेह से ग्रसित मरीजों को हृदय रोग होता है। ऐसी स्थिति में मधुमेह और रक्तचाप के रोगियों की जिलास्तर पर उच्च जांच नहीं हो पाती और चिकित्सा भी नहीं हो पाती। मधुमेह और रक्तचाप की वजह से गुर्दे के रोगी भी बढ़ रहे हैं। गुर्दे की डायलसिस यूनिट ही जिला अस्पताल में संचालित है, लेकिन कोई गुर्दा रोग विशेषज्ञ नहीं है। मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद शासन स्तर से चिकित्सा विशेषज्ञों की तैनाती यहां नहीं हो पा रही। जबकि जिले का स्वास्थ्य विभाग लगातार शासन को तैनाती के बारे में पत्र भेज रहा है। आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने एक दिन पूर्व ही मधुमेह के रोगियों को उपचार के मानकों के बारे में निर्देश जारी किए हैं। इन निर्देशों के मुताबिक पांच वर्ष पुराने मधुमेह के मरीजों की न्यूरोपैथी और आंखों की रेटिना जांच सहित अन्य जांचें किया जाना जरूरी है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि मधुमेह ने मरीज को कितना नुकसान पहुंचाया है। जिला अस्पताल में न्यूरोपैथी चिकित्सक भी नहीं है और जांच की व्यवस्था भी नहीं है।