धार्मिक

सोमवार, 08 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है. इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है. कहा जाता है.

पूजा-पाठ, स्नान-दान और पितरों के तर्पण आदि के नजरिए से तो इस दिन का बड़ा महत्व होता है

सोमवार, 08 अप्रैल को चैत्र अमावस्या है. इसे भूतड़ी अमावस्या (Bhutadi Amavasya) भी कहा जाता है. वहीं सोमवार के दिन पड़ने के कारण इसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) भी कहा जाएगा. अमावस्या हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के अगले दिन पड़ती है. पूजा-पाठ, स्नान-दान और पितरों के तर्पण आदि के नजरिए से तो इस दिन का बड़ा महत्व होता है.लेकिन अमावस की रात बड़ी डरावनी भी होती है. इसलिए हिंदू धर्म में इसे निशाचरी रात यानी काली रात कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि अमावस की रात नकारात्मक शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती है और इसी दिन जादू-टोना, तंत्र-मंत्र, साधना-सिद्धि प्राप्त करने जैसे काम किए जाते हैं. इसलिए अमावस्या पर लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए और कुछ कामों को करने से बचना चाहिए.

चैत्र अमावस्या के दिन सूर्य ग्रहण  इस साल चैत्र अमावस्या के दिन ही साल का पहला सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 2024) भी लगने जा रहा है. ऐसे में आपको अमावस्या और ग्रहण दोनों के दुष्प्रभाव से बचने की जरूरत है. क्योंकि ग्रहण के दौरान भी नकारात्मकता काफी बढ़ जाती है. सूर्य ग्रहण 08 अप्रैल को रात 09 बजकर 12 मिनट से देर रात 02 बजकर 22 मिनट तक रहेगा. सूर्य ग्रहण की कुल अवधि 05 घंटे 10 मिनट की होगी.

क्या भूतड़ी अमावस्या का भूतों से होता है संबंध

अमावस की रात काली होती है, क्योंकि इस रात चंद्रमा नजर नहीं आता है. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. ऐसे में जब अमावस की रात चंद्रमा नजर नहीं आता है तो इसके प्रभाव से लोग अति भावुक होते हैं और मानव शरीर में हलचल अधिक बढ़ जाती है. खासकर ऐसे लोग जो कमजोर दिल के होते हैं या अधिक नकारात्मक सोच रखते हैं, वह नकारात्मक शक्तियों की चपेट में आसानी से आ सकते हैं.

चैत्र अमावस्या पर इन बातों का रखें ध्यान

  • चैत्र अमावस्या के दिन ही सूर्य ग्रहण भी रहेगा. इसलिए आपको इस दौरान ग्रहण से संबंधित नियमों का भी पालन करने की जरूरत है.
  • 08 अप्रैल को अमावस और ग्रहण के दौरान भूलकर भी रात में बाहर न निकलें. खासकर सुनसान या शमशान आदि जगहों पर न जाएं.
  • पौराणिक मान्यता के अनुसार अमावस की रात शमशान में तांत्रिक साधना करते हैं और शक्तियों को जागृत करते हैं. इस कारण नकारात्मकता सक्रिय हो जाती है. इसलिए खासकर अमावस्या पर शमशान, कब्रिस्तान या सुनसान जगहों के आसपास से न गुजरें.
  • अमावस्या की रात चंद्रमा का मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, इसलिए अमावस्या पर अधिक बुरे विचार आते हैं. ऐसे में ईश्वर की पूजा-पाठ करें और मन को शांत रखें.
  • अमावस्या तिथि पर मांसाहार भोजन, शराब,मसूर की दाल, सरसों का साग, मूली और चना आदि जैसी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • मान्यता है कि, इस दिन पितरों का अपमान और जानवरों को परेशान भी नहीं करना चाहिए. इस दिन ऐसा कोई काम नहीं करें, जिससे पितृ दोष लगे.
  • अमावस्या तिथि पर शुभ और मांगलिक काम जैसे शादी-विवाह, मुंडन और सगाई आदि भी न करें.

JNS News 24

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