धार्मिक

कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से व्यक्ति राक्षस योनि से मुक्ति पाता है

इस व्रत को करने से आपको स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं.

कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल 2024 को रखा जाएगा. इस व्रत को करने से व्यक्ति राक्षस योनि से मुक्ति पाता है. यह भी माना जाता है कि इस व्रत को करने से आपको स्वर्ग की प्राप्ति होती है. इसे फलदा एकादशी भी कहते हैं.फलदा का अर्थ है फल की प्राप्ति और शब्द कामदा का अर्थ है कामनाओं को पूरा करने वाली एकादशी. हर एकादशी का अपना विशेष महत्व होता है. कामना एकादशी का व्रत महत्व स्वंय श्रीकृष्ण ने अर्जुन को बताया था. आइए जानते हैं कामदा एकादशी व्रत कथा और महत्व.

कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha)प्राचीन समय में भागीपुर नामक एक नगर था. जहां पुण्डरीक नाम का राजा का राज था. उसके ही राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहते थे. दोनों एक दूसरे से बेहद अटूट प्रेम करते थे. एक बार राजा पुंडरीक की सभा में ललित अन्य कलाकारों के साथ गाना गा रहा था, उसी दौरान ललित, ललिता की याद में खो गया और उसके स्वर बिगड़ गए. वह अशुद्ध गायन करने लगा.

राजा के श्राप से मिली राक्षस योनिनागराज कर्कोटक ने राजा पुण्डरीक से उसकी शिकायत की. इस पर राजा को भयंकर क्रोध आया और उन्होंने क्रोधवश ललित को श्राप दे दिया – “अरे नीच! तू मेरे सम्मुख गायन करते हुये भी अपनी स्त्री का स्मरण कर रहा है, इससे तू नरभक्षी दैत्य बनकर अपने कर्म का फल भोग.” राजा का श्राप के प्रभाव से ललित एक राक्षस बन गया. उसका शरीर आठ योजन का हो गया. मुख विकराल हो गया. उसके नेत्र सूर्य, चन्द्र के समान प्रदीप्त होने लगे. मुंह से आग की भयङ्कर ज्वालायें निकलने लगीं.

श्रृंगी ऋषि ने बताया कामदा एकादशी व्रत का महत्वइस तरह राक्षस बन जाने पर वह अनेक दुःख भोगने लगा. राक्षस बना ललित घोर वनों में रहते हुए अनेक प्रकार के पाप करने लगा. अपने प्रियतम ललित का ऐसा हाल होने पर ललिता दुःख से व्यथित हो उठी. ललित के उद्धार के लिए विचार करते करते वह एक दिन श्रृंगी ऋषि के आश्रम पहुंची. उसने मुनि को अपने पति के साथ हुई घटना बताई  और इस पाप से मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा.

कामनाओं की पूर्ति करता है कामदा एकादशी व्रत श्रृंगी ऋषि ने ललिता से कहा कि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम कामदा एकादशी है. उसके व्रत करने से प्राणी के सभी मनोरथ शीघ्र ही पूर्ण हो जाते हैं. कामदा एकादशी का व्रत करो, इसके फल से तुम्हारा पति राक्षस योनि से मुक्त हो जाएगा और राजा का श्राप शांत होगा. ललिता ने कामदा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत, दान किया. श्रीहरि की कृपा से उसका पति राक्षस योनि से मुक्त हो गया और अपने दिव्य स्वरूप में लौट आया. पहले की भांति ललिता के साथ विहार करने लगा. उसके सारे दुख, दरिद्रता खत्म हो गई. तभी से कामदा एकादशी का व्रत किया जाने लगा.

JNS News 24

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!