दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम को महरौली-बदरपुर रोड पर एक कुख्यात क्रिमिनल को दबोचने में सफलता मिली
दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने चूक किए बिना, उसे गिरफ्तार कर लिया.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की एक टीम को महरौली-बदरपुर रोड पर एक कुख्यात क्रिमिनल को दबोचने में सफलता मिली. सोमवीर गैंग का यह आरोपी पुलिस से भाग निकलने के लिए फायरिंग भी की, लेकिन दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने चूक किए बिना, उसे गिरफ्तार कर लिया. \दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी की पहचान हरियाणा के झज्जर जिले के निवासी सूरज गुलिया उर्फ उल्लू (28) के रूप में हुई है, जो दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में कारजैकिंग और डकैती के नौ सनसनीखेज मामलों में वांछित था. डीसीपी क्राइम ब्रांच राकेश पावरिया ने कहा कि गुप्त सूचना मिली थी कि गुलिया 11 अप्रैल को एमजी रोड से लाडो सराय श्मशान घाट के पास सड़क पर आएगा. ऐसे आया पुलिस के फंदे में डीसीपी ने कहा, “हमारी टीम ने उस स्थान के पास जाल बिछाया. शाम करीब 4 बजे उसे एमबी रोड की ओर से एक पल्सर मोटरसाइकिल पर आते देखा गया, जिसे एक मुखबिर ने तुरंत पहचान लिया।” क्राइम ब्रांच टीम द्वारा रोके जाने पर गुलिया ने अपनी मोटरसाइकिल छोड़कर भागने का प्रयास किया, जहां पुलिस टीम का एक सदस्य तैनात था.डीसीपी ने कहा, “उसने पिस्तौल लहराते हुए अधिकारी पर हावी होने का प्रयास किया. हालांकि, टीम के सदस्य तेजी से पहुंचे और उसे सफलतापूर्वक अपने कब्जे में कर लिया।”
2015 में जेल से बाहर आया था डीसीपी ने खुलासा किया कि 2015 में जेल से रिहा होने के बाद गुलिया अपने गांव में सोमवीर के गिरोह में शामिल हो गया, जो दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में कारजैकिंग करता था. डीसीपी ने कहा, “यह गिरोह बंदूक की नोक पर ड्राइवरों का जबरन अपहरण कर लेता था, बाद में उनकी संपत्ति और वाहन लूटने के बाद उन्हें छोड़ देता था.” साल 2015 में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद गुलिया ने लगभग चार साल विभिन्न जेलों में बिताए.डीसीपी ने कहा, “अपनी रिहाई पर के बाद उसने फिर से अपनी आपराधिक गतिविधियां फिर से शुरू कर दीं. 2020 में झज्जर के डुलीना में एक दुकान में डकैती को अंजाम दिया. बाद में गिरफ्तारी के बावजूद उसे दो से तीन महीने बाद जमानत मिल गई.”चार साल से पुलिस को दे रहा थ चकमा इसके बाद गुलिया छिप गया और पुलिस की पकड़ से बचता रहा. कुछ समय तक गुजरात के बंदरगाहों में नौकरी की. वहां पर फोन का उपयोग प्रतिबंधित था, जिससे जांच के प्रयास विफल होते रहे. डीसीपी ने कहा, “कई वर्षों बाद, वह अपनी पहचान छुपा कर एक ट्रेडिंग फर्म में ट्रैक्टर चालक की नौकरी के लिए पटौदी (हरियाणा) लौट आया.”