रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अक्टूबर, 2021 में नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के लिए नए नियम लागू किए थे.
नए गाइडलाइन्स के अनुसार, आरबीआई ने एनबीएफसी को बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर की कैटेगरी में बांट दिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अक्टूबर, 2021 में नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) के लिए नए नियम लागू किए थे. इनके अनुसार, बड़ी एनबीएफसी को 3 साल के अंदर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करना आवश्यक बना दिया गया था. नए नियमों के चलते टाटा ग्रुप (Tata Group) की पैरेंट कंपनी टाटा संस (Tata Sons) को भी स्टॉक मार्केट पर सितंबर, 2025 तक लिस्ट किया जाना है. मगर, टाटा संस किसी भी कीमत पर इस लिस्टिंग को टालने की कोशिश में जुटी है. फिलहाल कंपनी ने लिस्टिंग से बचने के लिए आरबीआई का दरवाजा खटखटाया है. टाटा संस ने आईपीओ (Tata Sons IPO) को टालने के लिए आरबीआई से कहा है कि उसने अपना ज्यादातर कर्ज चुका दिया है. ऐसे में टाटा संस के आईपीओ का इंतजार कर रहे निवेशकों को झटका लग सकता है.
अपर लेयर कैटेगरी में आई है टाटा संस
आरबीआई 2018 में आईएलएंडएफएस (IL&FS) के बिखरने के बाद से ही नियमों को टाइट करता जा रहा है. नए गाइडलाइन्स के अनुसार, आरबीआई ने एनबीएफसी को बेस लेयर, मिडिल लेयर, अपर लेयर और टॉप लेयर की कैटेगरी में बांट दिया है. टाटा संस को अपर लेयर कैटेगरी में रखा गया है. इन अपर लेयर कैटेगरी की एनबीएफसी को स्टॉक मार्केट में लिस्ट होने के लिए 3 साल का वक्त आरबीआई की तरफ से दिया गया है. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अगर टाटा संस को आरबीआई की तरफ से राहत नहीं मिली तो यह भारतीय स्टॉक मार्केट (Indian Stock Market) का सबसे बड़ा आईपीओ बन सकता है.
टॉप 10 एनबीएफसी में टाटा संस चौथी पोजीशन पर
रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा ट्रस्ट की टाटा संस में 66 फीसदी हिस्सेदारी है. पलोनजी मिस्त्री ग्रुप की इसमें 18.4 फीसदी हिस्सेदारी है. पलोनजी मिस्त्री ग्रुप की हिस्सेदारी की वैल्यू फिलहाल लगभग 198,000 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. आरबीआई की टॉप 10 एनबीएफसी में टाटा संस चौथी पोजीशन पर है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, अगर टाटा संस का आईपीओ आता है तो कंपनी की वैल्यूएशन 8 लाख करोड़ हो जाएगी.
आईपीओ से बचने के लिए कई तरीके आजमा रही कंपनी
इससे पहले भी कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि टाटा संस आईपीओ से बचने के लिए कई तरीके आजमा रही है. इसके लिए कंपनी अपनी बैलेंस शीट को भी रिस्ट्रक्चर कर रही है. कंपनी कर्ज मुक्त होने के लिए टाटा कैपिटल से अलग होने या अपने लोन को रिस्ट्रक्चर करने पर विचार कर रही है. वित्त वर्ष 2023 के अंत में कंपनी का कुल कर्ज 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक था. टाटा संस का रेवेन्यू भी बढ़कर 35,058 करोड़ रुपये हो गया है. कंपनी का प्रॉफिट भी एक साल पहले के मुकाबले बढ़कर 22,132.38 करोड़ रुपये हो गया है.