24 अप्रैल 2024 से वैशाख का महीना शुरू हो रहा है, जिसकी समाप्ति 23 मई 2024 को होगी.
वैशाख में कृष्ण के माधव रूप की पूजा की जाती है. इसलिए इसे माधव मास भी कहते हैं
24 अप्रैल 2024 से वैशाख का महीना शुरू हो रहा है, जिसकी समाप्ति 23 मई 2024 को होगी. वैशाख में कृष्ण के माधव रूप की पूजा की जाती है. इसलिए इसे माधव मास भी कहते हैं. इस महीने सभी देवी-देवता जल में वास करते हैं. ये महीना स्नान-दान, मांगलिक कार्य, जल दान के लिए बेहद फलदायी माना गया है.नववर्ष के दूसरे माह वैशाख में अक्षय पुण्य देने वाली अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya) , वरुथिनी एकादशी, भौमवती अमावस्या, बुद्ध पूर्णिमा, सीता नवमी, परशुराम जयंती, नृसिंह जयंती, वैशाख अमावस्या, मोहिनी एकादशी आदि व्रत त्योहार आएंगी. आइनए जानते हैं वैशाख माह 2024 के व्रत त्योहार की लिस्ट.
वैशाख व्रत-त्योहार 2024 (Vaishakh Month 2024 Vrat Festival)
24 अप्रैल 2024 (बुधवार) | वैशाख शुरू |
27 अप्रैल 2024 (शनिवार) | विकट संकष्टी चतुर्थी |
2 मई 2024 (गुरुवार) | पंचक शुरू |
4 मई 2024 (शनिवार) | वरुथिनी एकादशी, वल्लभाचार्य जयंती |
5 मई 2024 (रविवार) | प्रदोष व्रत (कृष्ण) |
6 मई 2024 (सोमवार) | मासिक शिवरात्रि |
8 मई 2024 (मंगलवार) | वैशाख अमावस्या, टैगोर जयंती |
10 मई 2024 (बुधवार) | अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती |
11 मई 2024 (गुरुवार) | विनायक चतुर्थी |
12 मई 2024 (शुक्रवार) | शंकराचार्य जयंती, रामानुज जयंती |
14 मई 2024 (मंगलवार) | वृष संक्रांति, गंगा सप्तमी |
15 मई 2024 (बुधवार) | बगलामुखी जयंती |
17 मई 2024 (शुक्रवार) | सीता नवमी |
19 मई 2024 (रविवार) | मोहिनी एकादशी |
20 मई 2024 (सोमवार) | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
22 मई 2024 (बुधवार) | नरसिंह जयंती, छिन्नमस्ता जयंती |
23 मई 2024 (गुरुवार) | वैशाख पूर्णिमा व्रत, बुद्ध पूर्णिमा |
वैशाख में करें इन देवताओं की पूजा वैशाख महीने में भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा करने का विधान है. शास्त्रों के अनुसार विष्णु जी ने इसी महीने में परशुराम अवतार लिया था, इनके पूजन से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है संकट दूर होता है.साथ ही वैशाख माह में नृसिंह, कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा करने की परंपरा है.धार्मिक मान्यता है कि बुद्ध पूर्णिमा यानी वैशाख पूर्णिमा पर भगवान विष्णु जी के बुद्ध अवतार लिया था. इस पवित्र महीने में पीपल की पूजा सुबह जल्दी करना चाहिए, इसमें विष्णु लक्ष्मी जी वास करते हैं. साथ ही सुबह और शाम दोनों समय तुलसी की पूजा की जाती है और दीपक लगाया जाता है.