दिल्ली की आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने एक ऐसे भगौड़े को दबोचने में कमायाबी पाई
18 साल से पुलिस को चकमा देकर अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था.
दिल्ली की आईजीआई एयरपोर्ट पुलिस ने एक ऐसे भगौड़े को दबोचने में कमायाबी पाई है, जो पिछले 18 साल से पुलिस को चकमा देकर अपनी गिरफ्तारी से बच रहा था. पुलिस को 25 जनवरी 2002 में IGI एयरपोर्ट थाने में दर्ज जालसाजी के मामले में इसकी तलाश थी. लगातार फरार रहने के कारण दिसंबर 2006 में कोर्ट ने आरोपी को भगौड़ा घोषित कर दिया था. अब दिल्ली पुलिस ने पंजाब के पठानकोट से इसे गिरफ्तार किया है. इस मामले में गिरफ्तार आरोपी की पहचान नवतेज सिंह के रूप में हुई है. यह पंजाब के पठानकोट जिले का रहने वाला है.डीसीपी उषा रंगनानी ने बताया कि आरोपी तकरीबन 24 साल पहले साल 2000 में टूरिस्ट वीजा पर बैंकॉक गया था. जहां उसका पासपोर्ट गुम हो गया. वहां से वह डंकी रुट से जर्मनी चला गया और अवैध तरीके से रहने लगा, लेकिन जल्दी ही वह जर्मन अथॉरिटी के हत्थे चढ़ गया और उसे 24 जनवरी 2001 में उसे इमरजेंसी सर्टिफिकेट के साथ डिपोर्ट कर वापस इंडिया भेज दिया गया. जर्मनी के अधिकारियों ने ईसी पर मेंशन अपने ऑब्जर्वेशन में यह लिख कर भेजा था कि आरोपी अपने पासपोर्ट पर इंडिया से बैंकॉक गया था, जहां उसका पासपोर्ट गुम हो जाने के बाद वह डंकी रूट से जर्मनी आया था. ईसी पर अंकित उंसके एड्रेस और 2000 में बैंकॉक यात्रा के इमबारकेशन कार्ड पर दर्ज एड्रेस में अंतर पाया गया. चूंकि, उसने ईसी पाने के लिए इंडियन इम्मीग्रेशन के साथ धोखाधड़ी की थी, इसलिए उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया था.
2006 से था फरार इस मामले में संबंधित धाराओं में मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था. जांच के बाद उसके खिलाफ कोर्ट मे आरोप-पत्र दाखिल किया गया था, लेकिन ट्रायल के दौरान आरोपी के कोर्ट में पेश न होने के कारण 6 दिसम्बर 2006 में इसे भगौड़ा घोषित कर दिया गया.
1996 के बाद नहीं गया गांव 18 साल से फरार चल रहे आरोपी को पकड़ने के लिए एसीपी सपना गेदाम और पीओ सेल के इंस्पेक्टर मोहित यादव के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया था. पुलिस जब जांच के क्रम में आरोप के गांव पहुंची तो पता चला कि 1996 में ही वह गांव छोड़कर जा चुका है. तब से वापस नहीं लौटा. पुलिस ने लोकल इंटेलिजेंस की सहायता से पहले तो उसके ईमेल आईडी का पता किया और फिर उससे संबंधित मोबाइल नंबर की जानकारी हांसिल कर लोकल और टेक्निकल सर्विलांस की सहायता से उसे पठानकोट से दबोच लिया.