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भारत से बराबरी करने के लिए पाकिस्तान चीन के सहारे चांद पर पहुंचना चाहता है.

आज (तीन मई, 2024) दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा.

भारत से बराबरी करने के लिए पाकिस्तान चीन के सहारे चांद पर पहुंचना चाहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि इंडिया का पड़ोसी देश ‘ऐतिहासिक’ मून मिशन आई क्यूब-क्यू (iCube-Q) लॉन्च करने जा रहा है. पाक का यह मिशन आज (तीन मई, 2024) दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा. सबसे रोचक बात है कि यह चीन के हैनान से वहां के चैंग 6 (Chang’e 6) ल्यूनर प्रोब के साथ रवाना किया जाएगा. मंगलवार (30 अप्रैल, 2024) को इस बारे में इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (आईएसटी) की ओर से यह जानकारी दी गई थीआईएसटी के अनुसार, आईक्यूब-क्यू को चीन की शंघाई यूनिवर्सिटी एसजेटीयू (Shanghai University SJTU) और पाकिस्तान की नेशनल स्पेस एजेंसी सुपारको (Suparco) के साथ मिलकर आईएसटी ने डिजाइन और डेवलप किया है. आईक्यूब-क्यू ऑर्बिटर में दो ऑप्टिकल कैमरा है, जो कि चांद की सतह की तस्वीरों को कैद करेंगे. सफल टेस्टिंग और अन्य पैमानों पर खरा उतरने के बाद आईक्यूब-क्यू अब चीन के चैंग-6 मिशन के साथ इंटीग्रेट कर दिया गया है.

कहां देखें लॉन्चिंग का टेलिकास्ट? पाकिस्तान और चीन के इन मिशन से जुड़ी लॉन्चिंग का लाइव टेलिकास्ट आईएसटी की वेबसाइट के साथ आईएसटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी किया जाएगा, जबकि इस दौरान प्रमुख टीवी न्यूज चैनल्स पर भी इससे जुड़ी खबरें दिखाई जाएंगी.चैंग-6 चीन का छठा मून मिशन है, जो कि चंदा मामा से जुड़े नए रहस्यों को उजागर करने की कोशिश करेगा. चीन इस मिशन के जरिए चांद पर जाकर कुछ सैंपल्स लेगा और पृथ्वी पर उनके आने के बाद उन पर शोध आदि कराएगा. चीन का यह मिशन पाकिस्तान के लिए खासा मायने रखता है क्योंकि यह क्यूबसैट सैटेलाइट (CubeSat Satellite) आईक्यूब-क्यू को साथ लेकर जाएगा, जिसे आईएसटी ने तैयार किया है. क्यूबसैट एक किस्म के मिनिएचर (छोटे आकार वाली) सैटेलाइट हैं, जो कि आकार में छोटे और स्टैंडर्ड डिजाइन वाले हैं. इन्हें क्यूब के आकार में तैयार किया गया है और इनमें मॉड्यूलर कंपोनेंट्स हैं. ऐसे सैटेलाइट्स की बात करें तो इनका वजन कुछ किलोग्राम में है और इन्हें विभिन्न मकसदों के लिए स्पेस में तैनात किया जा चुका है.

पाकिस्तान की स्पेस पर इसलिए है नजर क्यूबसैट का असल मकसद स्पेस में जाकर साइंस के क्षेत्र में रिसर्च, टेक्नोलॉजी का विकास और इस दिशा में शैक्षणिक पहल आदि करना है. ऐसे सैटेलाइट्स को कई मिशंस के लिए इस्तेमाल किया जा चुका है, जिनमें अर्थ ऑब्जर्वेशन (पृथ्वी अवलोकन), रिमोट सेंसिंग,कम्युनिकेशंस, एस्ट्रोनॉमी और टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेशन आदि शामिल है. भारत ने इससे पहले अगस्त 2023 में मून मिशन चंद्रयान-3 के जरिए चांद के साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) पर जाकर इतिहास रच दिया था. इंडिया वहां जाने वाले पहला देश बना था.

JNS News 24

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