वाराणसी के नगवां क्षेत्र में जनसंपर्क के दौरान मंगलवार को बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध
150 वर्षो से अधिक समय से वहां पर रहते हैं. इससे जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है
वाराणसी के नगवां क्षेत्र में जनसंपर्क के दौरान मंगलवार को बीजेपी विधायक सौरभ श्रीवास्तव का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध किया. उनका आरोप है कि तहसील से बिना उनको सूचित किए सरकारी संपत्ति के नाम पर तकरीबन 300 लोगों का नाम काट दिया गया. जबकि वह 150 वर्षो से अधिक समय से वहां पर रहते हैं. इससे जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है जिसमें लोग कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव का विरोध करते नजर आ रहे हैं.हालांकि इसके बाद क्षेत्रीय विधायक की तरफ से लोगों को लिखित आश्वासन भी दिया गया. साथ ही मौके पर मौजूद अन्य भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा स्थानीय लोगों को मनाने की पूरी कोशिश की गई. लेकिन लोग लगातार इस मामले को लेकर विरोध करते रहे तो बाद में खुद ही विधायक को वहां से जाना पड़ा. एबीपी लाइव ने जब इस मामले को लेकर क्षेत्रीय विधायक सौरभ श्रीवास्तव से वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि हम हर दिन की तरह आज भी अपने क्षेत्र में लोगों से जनसंपर्क करने के लिए निकले थे.
विरोध पर क्या बोले विधायक
विधायक ने कहा कि नगवां क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने अपनी समस्या बताइ और हम पूरी तरह से इस विषय पर उनके साथ हैं. दरअसल, 150 वर्षों से अधिक समय से रह रहे सैकड़ों लोगों का सरकारी दस्तावेज से बिना सूचना दिए नाम काट दिया जाएगा तो उनकी नाराजगी स्वाभाविक है. इसे किसी भी प्रकार से स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. पूरी तरीके से इस मामले को लेकर एसडीएम सदर जिम्मेदार हैं और हमने उनसे बातचीत भी की है. साथ ही स्थानीय लोगों को भी लिखित आश्वासन दिया है कि आपके साथ न्याय होगा. हमारे लिए जनता जनार्दन का हित सर्वोपरि है. वहां के अन्य लोगों से भी हमने बातचीत की तो वहां पर लोगों ने बैठ कर अपनी समस्या को शांतिपूर्ण तरीके से बताया. अब इस मामले को लेकर सियासत शुरू हो चुकी है. सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के नेता अजय राय ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए भाजपा पर निशाना साधा है. अजय राय ने लिखा है कि प्रधानमंत्री को यह तनिक भी सोच नहीं की इतने परिवार विस्थापित होकर कहां जाएंगे. इस निकम्मी सरकार को काशी और काशीवासियों की तनिक भी परवाह नहीं. खैर इसीलिए जनता ने भी इन्हें वापस लौटाना शुरू कर दिया है. अब वो दिन भी दूर नहीं जब प्रवासी जी झोला उठाकर गुजरात का टिकट ले लेंगे क्योंकि उनके अत्याचार और अन्याय की सीमा अब आकाश छू चुकी है.