इरादा अगर बुलंद हो तो मुश्किल दौर में भी स्वर्णिम सफलता का स्वाद चखा जा सकता है
दिल्ली के 18 वर्षीय छात्र माधव ने ब्रेन हेमरेज में एक तिहाई मस्तिष्क के प्रभावित होने के बाद भी 12वीं की परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर सभी को अचंभे में डाल दिया
इरादा अगर बुलंद हो तो मुश्किल दौर में भी स्वर्णिम सफलता का स्वाद चखा जा सकता है. दिल्ली के 18 वर्षीय छात्र माधव ने ब्रेन हेमरेज में एक तिहाई मस्तिष्क के प्रभावित होने के बाद भी 12वीं की परीक्षा में बेहतरीन प्रदर्शन कर सभी को अचंभे में डाल दिया है. एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, पुष्पबिहार में पढ़ने वाले छात्र माधव ब्रेन हेमरेज के बाद 10 दिन तक कोमा में थे. उन्होंने सीबीएसई के हालिया परिणाम (CBSE Results) में 93 फीसद अंक लाकर यह बता दिया है कि जीत उसी की होती है जो मुश्किल परिस्थितियों में भी हार नहीं मानता.मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अगस्त 2021, में दसवीं के बाद माधव की मस्तिष्क की क्षमता प्रभावित होने लगी थी. धमनी-शिरा विकृति के कारण उनके मस्तिष्क के अंदर रक्त बहने लगा और उनका एक तिहाई मस्तिष्क बुरी तरह प्रभावित हो गया. इससे उन्हें लेखन, गणित, तर्क आदि के कार्यों में दिक्कतें आने लगीं. ब्रेन हेमरेज के बाद माधव 10 दिन तक कोमा में रहे.
बोलना तक भूल गए थे माधव उनके पिता दिलीप शरण के मुताबिक, माधव के कोमा में पहुंचने पर उन्हें अस्पताल के आईसीयू में भर्ती किया गया. उस समय यह कहना मुश्किल था कि माधव की हालत कभी पहले जैसी होगी या नहीं. वह पहले की तरह चीजों को समझ पाएंगे या नहीं. होश में आने पर माधव पूरी तरह से बोलना भूल गए थे.
नहीं खोई हिम्मत
अगले एक साल तक माधव को कई तरह की गंभीर सर्जरी से गुजरना पड़ा. उनकी खोपड़ी के एक हिस्से को काटकर अलग कर दिया गया था. बावजूद इसके माधव ने हौसला नहीं खोया. उसने धीरे-धीरे गतिशीलता हासिल और बोलना भी शुरू कर दिया. इसके बाद माधव ने अपनी किताबों की ओर रुख किया. शुरुआत में सबसे ज्यादा परेशानी हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं को समझने में आई.
खुद से की पढ़ाई
जुलाई 2022 में माधव की स्कूल में वापसी हुई. माधव ने 12 वीं में हिंदी, अंग्रेजी, इतिहास, राजनीति विज्ञान, ललित कला और शारीरिक शिक्षा को बतौर विषय चुना. उन्होंने परिजनों के किसी भी सहयोग की पेशकश को ठुकरा दिया और खुद पढ़ाई में जुट गए. उन्होंने अपने असीम दृढ़ संकल्प की बदौलत सफलता का वो मुकाम हासिल किया जो शायद एक समय नामुमकिन ही लग रहा था. आज उनके इस जज्बे को सभी सलाम कर रहे हैं.