शिक्षा

गुड़गावं की सना शेख ने सीबीएसई बोर्ड बारहवीं में 99.4 प्रतिशत मार्क्स पाए हैं.मिली विदेशी यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप

12वीं में 99 परसेंट से ज्यादा मार्क्स पाने के साथ ही उन्हें ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय की स्कॉलरशिप भी मिली है

सीबीएसई बोर्ड के नतीजे कुछ दिन पहले जारी हुए हैं. अलग-अलग शहर के बच्चों ने एग्जाम में बढ़िया परफॉर्म किया है. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की नीति है कि वे टॉपर्स की लिस्ट प्रकाशित नहीं करते ताकि अनहेल्दी कांपटीशन से बचा जा सके. इन नतीजों के जारी होने के बाद सामने आया है कि गुड़गावं की सना शेख ने सीबीएसई बोर्ड बारहवीं में 99.4 प्रतिशत मार्क्स पाए हैं.मिली विदेशी यूनिवर्सिटी की स्कॉलरशिप सना की उपलब्धियां यहीं खत्म नहीं होती हैं. 12वीं में 99 परसेंट से ज्यादा मार्क्स पाने के साथ ही उन्हें ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय की स्कॉलरशिप भी मिली है. अब सना आगे की पढ़ाई वहां से करेंगी. इसके लिए सना ने कैसे अपनी स्टडीज प्लान की आइये जानते हैं.इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सना मुख्य तौर पर मुंबई की हैं. इस समय वे गुड़गांव में रहती हैं और यहां के डीपीएस स्कूल से उन्होंने 11वीं और 12वीं पास की है. उन्हें ह्यूमैनिटीज में गहरी रुचि है. दसवीं उन्होंने यूनिवर्सल हाईस्कूल से किया था और उनके विषय कॉमर्स और इकोनॉमिक्स थे.सना को लिखने का बहुत शौक है और उन्हें साइकोलॉजी विषय काफी आकर्षित करता है. इसे देखते हुए वे आगे की पढ़ाई इसी विषय में जारी रखना चाहती हैं.

उनके माता-पिता जोकि इंश्योरेंस सेक्टर में हैं ने इस सफर में उनका खूब साथ दिया और इस अचीवमेंट के साथ वे हर जगह सुर्खियों में हैं.रिपोर्ट के मुताबिक सना अपने पढ़ाई के अनुभव के बारे में बताते हुए कहती हैं कि उन्होंने अपनी किताबों को बाइबल समझकर पढ़ाई की, कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा. वे नोट्स बनाना पसंद करती हैं और उन्होंने ऐसे ही पूरे साल नोट्स बनाकर पढ़ाई की. वे लिखकर याद करने में यकीन रखती हैं न कि बोलकर याद करने में. उनका मानना है कि जब हम लिखकर कोई चीज तैयार करते हैं तो उसकी समझ बढ़ जाती है और तैयारी भी पक्की हो जाती है.सना कहती हैं कि उनके लिए टाइम मैनेजमेंट काफी कठिन था. इसे मैनेज करने के लिए वे अलार्म लगाकर पढ़ने लगी थी. किस विषय को कितना समय देना है इससे तय हो जाता था और सही समय पर दूसरा विषय शुरू हो जाता था. उनके माता-पिता ने भी टाइम मैनेजमेंट में उनकी बहुत मदद की.आंसर कैसे लिखने हैं और एक इफेक्टिव आंसर कैसे फ्रेम किया जाता है ताकि कम शब्द में सही बात कही जा सके, ये सना ने अपने टीचर्स से सीखा. उन्होंने सना को शब्द सीमा के अंदर ठीक से आंसर लिखने की क्षमता विकसित करने में मदद की. सना को सैम्पल पेपर्स सॉल्व करने से भी बहुत मदद मिली.

JNS News 24

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