डायबिटीज लाइफस्टाइल और खानपान से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है. हालांकि, सही दिनचर्या फॉलो कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है.
डायबिटीज के कुछ मरीजों को इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इससे उनका शुगर लेवल मेंटेन रहता है.
डायबिटीज लाइफस्टाइल और खानपान से जुड़ी एक लाइलाज बीमारी है. हालांकि, सही दिनचर्या फॉलो कर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें डाइट का खास ख्याल रखना पड़ता है. डायबिटीज के कुछ मरीजों को इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है. इससे उनका शुगर लेवल मेंटेन रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इंसुलिन का इंजेक्शन कितना फायदेमंद है, इसकी जरूरत कब पड़ती है, क्या कोई साइड इफेक्ट्स भी हैं. यहां जानिए इससे जुड़ी हर जानकारी…इंसुलिन पैंक्रियाज में बनने वाला खास तरह का हार्मोन होता है. पैंक्रियाज में ढेर सारी कोशिकाएं होती हैं जिसमें से एक बीटा सेल है. इसी के अंदर इंसुलिन बनता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंसुलिन पेप्टाइड कैटेगरी का हार्मोन होता है, जिसका निर्माण 51 अमीनो एसिड से होता है. इंसुलिन के हार्मोन को एनाबॉलिक हार्मोन भी कहते हैं. इस हार्मोन को बॉडी में ग्रोथ के लिए जिम्मेदार माना जाता है. इंसुलिन का मुख्य काम शरीर में शुगर लेवल को कंट्रोल करना होता है. हम जो कुछ भी खाते हैं, वो पचने के बाद ग्लूकोस में बदल जाता है. बॉडी में जैसे ही ग्लूकोज बढ़ता है, उसका बीटा सेल्स सिग्नल प्राप्त करता है. जिसके बाद इंसुलिन इस ग्लूकोस को शरीर की छोटी-छोटी कोशिकाओं में बांट देता है. इससे शरीर में ग्लूकोस संतुलित रहती है. जब ग्लूकोस कोशिकाओं तक पहुंचता है तो शरीर को ऊर्जा मिलती है.
इंसुलिन इंजेक्शन की जरूरत कब पड़ती है ?
इंसुलिन इंजेक्शन (Insulin Injection) की जरूरत दो स्थितियों में पड़ती है. पहला इंसुलिन रेजिस्टेंस में और दूसरा इंसुलिन डिफिशिएंसी में। इंसुलिन रेजिस्टेंस का मतलब बॉडी में बनने वाली इंसुलिन किस तरह काम कर रही है. इंसुलिन डिफिशिएंसी बताती है कि शरीर में अपर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बन रही है.
इंसुलिन इंजेक्शन के साइड इफेक्ट्स
1. हाइपोग्लाइसीमिया हो सकता है, जिसमें ब्लड शुगर में कमी आ सकती है. ज्यादा इंसुलिन लेने पर ऐसा हो सकता है.
2. डॉक्टर ने इंसुलिन लेने के तय समय बाद अगर खाना खाने को कहा है लेकिन आप नहीं खाते हैं तो शुगर कम हो सकती है.
3. अगर आप भूख से कम खा रहे हैं लेकिन इंसुलिन पर्याप्त ले रहे हैं तो शरीर में जितने भी ग्लूकोस है, वह नहीं पहुंच पाते और शुगर लेवल गिरने लगता है.
4. इंसुलिन इंजेक्शन वाली जगह लाल निशान बन जाना
5. इंजेक्शन वाली जगह सूजन और खुजली होना
6. वजन का बढ़ना
7. कब्ज की समस्या
8. स्किन का रंग बदलना