पांचवें चरण के मतदान के दौरान एक युवक एटा के एक मतदान केंद्र पर एक एक करे आठ बार वोट दिया था
युवक बस्ती जनपद में वोट देते हुए वीवीपैट की फोटो खींची और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया
पांचवें चरण के मतदान के दौरान एक युवक एटा के एक मतदान केंद्र पर एक एक करे आठ बार वोट दिया था और उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. ठीक उसी तरह आज यूपी में छठे चरण के मतदान के दौरान एक युवक बस्ती जनपद में वोट देते हुए वीवीपैट की फोटो खींची और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. यह युवक बीजेपी सपोर्टर बताया जा रहा है. इस तस्वीर के वायरल होते ही जिला प्रशासन के हाथ पांव फूल गए. आनन फानन में जिला अधिकारी के निर्देश पर आरोपी युवक को हिरासत में ले लिया गया है.यह पूरा मामला सदर कोतवाली क्षेत्र का है, जहां मनहनडीह गांव के रहने वाले एक युवक अरविंद ने सुबह सुबह वोट दिया और वोट देने के बाद वीवीपैट मशीन से निकलने वाली पर्ची की तस्वीर खींच ली. जिसे कुछ देर में अरविंद ने अपने फेसबुक पर वायरल कर दिया. मामला सोशल मीडिया से मीडिया में आया तो जिला प्रशासन के अधिकारी भी हरकत में आए. युवक की पहचान करने के बाद उसे उसके घर से हिरासत में ले लिया गया.
बीजेपी की पर्ची को फेसबुक पर किया अपलोड आरोपी युवक ने मशीन से निकलने वाली बीजेपी की पर्ची को अपने फेसबुक पर डालते हुए लिखा कि बस्ती में कमल खिल रहा है. जिसकी शिकायत सपा के नेताओं ने भी जिम्मेदार अधिकारियों से की. मामला और अधिक तूल पकड़ता इससे पहले डीएम ने स्थिति को कंट्रोल कर लिया और आरोपी युवक अरविंद को गिरफ्तार करने का निर्देश दे दिया, जिसके बाद कोतवाली पुलिस ने आरोपी युवक को कोतवाली लेकर आई है और कानूनी कार्रवाई की तैयारी चल रही है.
बस्ती के डीएम ने क्या कहा? डीएम अंद्रा वामसी से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि प्रकरण की जानकारी है, जो भी उचित कार्रवाई होगी की जायेगी. डीएम से जब एफआईआर दर्ज होने के बारे में सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में एसपी से पूछ लीजिए. एसपी से उनके नंबर पर कई बार बार करने का प्रयास किया गया, मगर उनका फोन रिसीव नहीं हुआ.
एटा के बाद बस्ती में बूथ कैप्चरिंग का फोटो वायरल एटा में बीजेपी को वोट देते हुए नाबालिग लड़के का आठ वीडियो वायरल हुआ था, ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि एटा की घटना के बाद भी क्या चुनाव आयोग ने सीख नहीं ली और मतदान केंद्रों के अंदर मोबाइल ले जाने के छूट दी गई. बस्ती की घटना इस बात की ओर प्रबल इशारा करता है कि तमाम सख्ती के बावजूद बस्ती का जिला प्रशासन पूरी तरह से फेल साबित नजर आया.