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सालभर में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सभी एकादशी (Ekadashi) में प्रमुख मानी जाती है

पूरे व्रत के दौरान चाहे कितनी ही प्यास क्यों न लगे, जल की एक बूंद तक भी ग्रहण नहीं कर सकते.निर्जला एकादशी का व्रत दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है.

सालभर में ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी सभी एकादशी (Ekadashi) में प्रमुख मानी जाती है. ये सबसे कठिन व्रत है इसमें अन्न के साथ जल का भी त्याग करना पड़ता है.  इस पूरे व्रत के दौरान चाहे कितनी ही प्यास क्यों न लगे, जल की एक बूंद तक भी ग्रहण नहीं कर सकते.निर्जला एकादशी का व्रत दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है. निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी (‌Bhimseni Ekadashi) भी कहते हैं. महर्षि वेदव्यास के अनुसार, भीमसेन ने इसे धारण किया था. जानें निर्जला एकादशी

24 एकादशियों का फल देती निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2024 Date)निर्जला एकादशी 18 जून 2024 को है. ये व्रत गंगा दशहरा (Ganga dussehra) के अगले दिन आता है. इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल भी न पीने का विधान होने के कारण इसे निर्जला एकादशी कहते हैं. इस व्रत से अन्य एकादशियों पर अन्न खाने का दोष छूट जाता है और सालभर की एकादशियों के पुण्य का लाभ भी मिलता है.

निर्जला एकादशी का इतिहास क्या है ? (Nirjala Ekadashi History) पौराणिक कथा के अनुसार मोक्ष प्राप्ति की कामना से महाभारत के बलशाली योद्धा भीम (Bheem) ने भी यह व्रत रखा था. दस हजार हाथियों के समान ताकत रखने वाले भीम बेहद ताकतवर थे लेकिन उनसे भूख बर्दाश्त नहीं होती थी. महर्षि वेद व्यास जी ने उन्हें एकादशी व्रत करने को कहा लेकिन हर महीने दो एकादशी पर अन्न का त्याग करना उनके लिए मुश्किल था.ऐसे में ऋषिवर ने उन्हें सालभर की सभी एकादशी (Ekadashi) का फल देने वाली निर्जला एकादशी का व्रत करने को कहा, लेकिन इसमें अन्न-जल दोनों ग्रहण नहीं कर सकते थे. भीम ने साल में सभी एकादशी व्रत की अपेक्षा निर्जला एकादशी व्रत करने का विचार किया, जिसके प्रताप से उनके सारे पाप धुल गए, समस्त सुख मिला. तभी से इसे भीमसेनी एकादशी कहा जाता है.

ये एकादशी सबसे शक्तिशाली है (Nirjala Ekadasi Significance)ये एकादशी (Ekadashi) इसलिए खास है क्योंकि इस दिन पानी नहीं पिया जाता है. ज्येष्ठ महीने में दिन बड़े और ज्यादा गर्मी (Jyeshtha Hot season) वाले होते हैं, इसलिए प्यास लगती ही है. ऐसे में खुद पर काबू रखना और पानी नहीं पीना, तपस्या करने जैसा काम है. इस दिन उपवास करने से धन-धान्य, पुत्र और आरोग्यता और उम्र बढ़ती है.

 

JNS News 24

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