सिद्धचक्र महामंडल विधान करने से अपने कर्मो का नाश होता है. मुनि अनुकरण सागर
श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के पांचवे दिन भक्ति से सराबोर श्रद्धालओं द्वारा प्रात
सिद्धचक्र महामंडल विधान करने से अपने कर्मो का नाश होता है. मुनि अनुकरण सागर
खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे
श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के पांचवे दिन भक्ति से सराबोर श्रद्धालओं द्वारा प्रात: तीर्थंकर भगवान का अभिषेक करने का सौभाग्य मनोरमा जैन,पंकज जैन , मानस जैन,अरुण कुमार जैन ,अमन जैन,अशोक जैन दोषी परिवार को और शांतिधारा करने का विजय कुमार जैन ,आशीष जैन ,नमन जैन सेठ संस परिवार को प्राप्त हुआ। बा. ब्र.आदरणीय बसंती दीदी एवं कल्पना दीदी के निर्देशन में श्रीजी के समझ श्रावक श्राविकाओं ने 128अर्घ्य समर्पित किए। मुनि श्री अनुकरण सागर ने धर्मसभा की संबोधित करते हुए कहा कि इंसान का जीवन उसके कर्मों के अनुसार पाप और पुण्य के बीच चलता है। जब तक पुण्य कर्म चलता है, तब तक मनुष्य उत्तम जीवन बिताता है, जब पाप कर्म आता है तो अकस्मात उसके ऊपर ऐसी विपत्ति आ जाती है उन्होंने कहा कि यह सब अपने अपने कर्मों का पाप पुण्य का फल है, जिसने जैसा बोया, उसको वैसा ही काटना पड़ेगा।
इसीलिए हमेशा अच्छे सद्कर्म करो, धर्म करो, पाप कर्म से बचो। सदैव समभाव रखते हुए धार्मिक क्रियाकलाप, अभिषेक पूजन मुनिराजो की सेवा में लगे रहना चाहिए जिससे आप का पुण्य अनेकों गुना बढ़ता है पाप कर्मों का क्षय होता है और जो पाप कर्म से जो परेशानियां जीवन में आती है उससे घबराना नहीं चाहिए समता भाव पूर्वक सहन करना चाहिए। सभी के वात्सल्य भोजन के पुण्यार्जक श्रीमती पदमा जैन ,गौरव जैन ,श्रीमती पूजा जैन परिवार रहे। सायंकाल मंदिर में श्रीजी की आरती, भजन एवं मान्या ,लक्ष्य ,मानस,चीकू, खुशी केतन बच्चों द्वारा बहुत ही सुंदर श्रीपाल मैना सुंदरी पर धार्मिक नाटक प्रस्तुत किया जिसको देखकर सभी भाव विभोर हुए।कार्यक्रम मे अजय कुमार जैन ,नवनीत जैन , प्रदीप जैन , सीनेश जैन, निशांत जैन ,नरेंद्र जैन ,शुभ जैन,शैलेश जैन एवं पुरूष , महिलायें, बच्चें उपस्थित रहे।