सिद्धचक्र मंडल विधान रोग शोक को दूर कर मुक्ति प्रदान करने वाला है- मुनि श्री अनुकरण सागर
खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के सातवें दिन भक्ति से सराबोर श्रद्धालओं द्वारा प्रात
खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के सातवें दिन भक्ति से सराबोर श्रद्धालओं द्वारा प्रात: तीर्थंकर भगवान का अभिषेक करने का सौभाग्य अनिल कुमार जैन,मयंक जैन,पंकज जैन ,प्रदीप कुमार जैन,संजय जैन परिवार को और शांतिधारा करने का नीरज कुमार जैन,आंशिक जैन परिवार को प्राप्त हुआ। बा. ब्र.आदरणीय बसंती दीदी एवं कल्पना दीदी के निर्देशन में श्रीजी के समझ श्रावक श्राविकाओं ने 512 अर्घ्य समर्पित किए। श्रद्धालु श्रावक श्राविकाएं ने भगवान की आराधना करते हुए भक्तिपूर्वक नृत्य किया।
मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने धर्मसभा की संबोधित करते हुए कहा कि अष्टान्हिका पर्व में सिद्ध भगवंतों की आराधना से जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। भगवान कर्तावादी नहीं है परंतु जितना छोड़ते जाओगे उतना पाते जाओगे क्योंकि पाप कर्म क्षीण होकर पुण्य की वृद्धि होती जाती है। उन्होंने कहा भावपूर्वक भक्ति से आत्मा समृद्ध होती है। सिद्ध चक्र मंडल विधान रोग शोक को हर कर मुक्ति प्रदान करने वाला है। संसार में भ्रमण के मार्ग अनेक है परंतु सुधरने व संभलने का महावीर का मार्ग है। जैन धर्म शस्त्र उठाकर नहीं बल्कि शास्त्र उठाकर मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
सभी के वात्सल्य भोजन के पुण्यार्जक सतेंद्र कुमार , प्रभारानी जैन परिवार रहे। सायंकाल मंदिर में श्रीजी की आरती, भरतपुर से पधारे राकेश एण्ड पार्टी के भजनों पर भक्तिपूर्वक नृत्य किया एवं शास्त्र जी सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। सभी विजयी प्रतियोगियों को समिति द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया।कार्यक्रम मे प्रद्युम्न कुमार जैन ,विजय कुमार जैन ,नरेंद्र कुमार जैन ,मयंक जैन ,प्रशांत जैन ,मुकेश जैन ,राजीव जैन ,गिरीश चंद्र जैन ,राजकुमार जैन ,एवं पुरूष , महिलायें, बच्चें उपस्थित रहे।