गुरु ही जीवन में अज्ञान का अंधेरा मिटाता है – मुनि अनुकरण सागर
श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे
खिरनी गेट पर स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन मंदिर मे चल रहे श्री सिद्धचक्र महामण्डल विधान के आठवें दिन भक्ति से सराबोर श्रद्धालओं द्वारा प्रात: तीर्थंकर भगवान का अभिषेक करने का सौभाग्य प्रतीक जैन,शशि जैन, हर्ष जैन,रुचि जैन,पवन जैन ,मधु जैन ,सुनील जैन ,सोमिल जैन
,प्रकाश कुमार जैन ,सीनेश जैन परिवार को और शांतिधारा करने का कैलाश चन्द्र जैन,गौरव जैन सोनल लॉक्स परिवार को प्राप्त हुआ। बा. ब्र.आदरणीय बसंती दीदी एवं कल्पना दीदी के निर्देशन में श्रीजी के समझ श्रावक श्राविकाओं ने 1024 अर्घ्य समर्पित किए। गुरु पूर्णिमा के पावन दिन पर मुनिश्री के पादप्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य संजय जैन ,गरिमा जैन परिवार को प्राप्त हुआ । सुरेश कुमार जैन गढ़ी परिवार द्वारा विधान में मुख्य पात्र बनने वाले सभी इंद्र इंद्राणीयो को सम्मानित किया गया।
मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने धर्मसभा की संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्रों में गु का अर्थ बताया गया है- अंधकार या मूल अज्ञान और रु का का अर्थ किया गया है- उसका निरोधक। गुरु को गुरु इसलिए कहा जाता है कि वह अज्ञान तिमिर का ज्ञानांजन-शलाका से निवारण कर देता है। अर्थात अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने वाले को ‘गुरु’ कहा जाता है। आज का दिन गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन होता है क्योंकि गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वे ही जीवन को ऊर्जामय बनाते हैं गुरु के बिना ज्ञान और मोक्ष दोनों ही प्राप्त करना असंभव है ।
सभी के वात्सल्य भोजन के पुण्यार्जक घनश्यमदास जैन सनी जैन ,मनी जैन ,जैन लेमिनेटर्स परिवार रहे। सायंकाल मंदिर में श्रीजी की आरती, भरतपुर से पधारे राकेश एण्ड पार्टी के भजनों पर भक्तिपूर्वक नृत्य किया ।कार्यक्रम मे सुशील जैन, शेखर जैन,राजीव जैन गढ़ी ,मनोज जैन ,रामकुमार जैन ,राजेश जैन ,पवन जैन पुरूष , महिलायें, बच्चें उपस्थित रहे।