मन वचन मे कुटिलता न होना ही उत्तम आर्जव धर्म- अनुकरण सागर
श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम आर्जव धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की। मंदिर जी मे प्रात
मन वचन मे कुटिलता न होना ही उत्तम आर्जव धर्म- अनुकरण सागर
दसलक्षण पर्व के तृतीय दिन मंगलवार को खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम आर्जव धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की। मंदिर जी मे प्रात
: श्रीजी का अभिषेक ,शांतिधारा एवं सामूहिक पूजन से धर्मप्रभावना हुई। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने उत्तम आर्जव धर्म के बारे मे समझाते हुए कहा की छल-कपट से जीवन जीने से व्यक्ति को हमेशा दुख भोगना पड़ता है, इसलिए जितना हो सके सरल स्वभाव रखें। मन मन वचन काय लक्षण योग की सरलता व कुटिलता का अभाव उत्तम आर्जव धर्म है जो विचार हृदय में स्थित है वही वचन में कहता है और वही बाहर फलता है डोरी के दो छोड़ पकड़ कर खींचने से वह सरल होती है उसी तरह मन में से कपट दूर करने पर वह सरल होता है अर्थात मन की सरलता का नाम आर्जव है जो अपने अपराधों को नहीं छुपाता अतिचारों की निंदा घ्रणा करता है और प्रायश्चित के द्वारा उनकी शुद्धि करता है साथ ही, मोह-माया व बूरे कर्म सब छोड़कर सरल स्वभाव के साथ परम आनंद मोक्ष की प्राप्ति की जा सकती है। सांयकालीन आरती एवं स्वाध्याय,प्रवचन एवं मुनि सेवा समिति युवा प्रकोष्ठ द्वारा सेठ सुदर्शन बहुत ही सुंदर धार्मिक नाटिका का मंचन किया गया।उससे पूर्व कार्यक्रम शुभारम्भ प्रद्युम्न कुमार जैन ,विजय कुमार जैन ,नरेंद्र कुमार जैन , ज्ञानेन्द्र कुमार जैन ,राजीव जैन ने आचार्य श्री विद्यासागर मुनिराज ,समय सागर मुनिराज के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन एवं रिषभ जैन ने किया। कार्यक्रम के प्रायोजक विजय कुमार जैन सेठ ससं रहे। अजय कुमार जैन ,संतोष जैन ,प्रदीप जैन ,पंकज जैन,अशोक जैन दोषी एवं समिति के अध्यक्ष सत्यम जैन ,सम्यक जैन ,केतन जैन , दक्ष जैन, शुभ जैन ,मानव जैन ,आरुष जैन ,सारांश जैन ,विदित जैन एवं समाज के पुरुष महिला बच्चे उपस्थित रहे।