धनाकांक्षा और भोगकांक्षा से बचे- मुनि अनुकरण सागर
श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम शौच धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की
दसलक्षण पर्व के चर्तुथ दिन बुधवार को खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम शौच धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की। मंदिर जी मे प्रात: श्रीजी का अभिषेक एवं शांतिधारा करने का सौभाग्य नीरज जैन एवं मुनेश जैन परिवार को प्राप्त हुआ। श्रावक श्राविकाओं ने सामूहिक रूप से भगवान पुष्पदंत के मोक्ष कल्याणक दिवस पर निर्वाण काण्ड पढ़कर निर्वाण लाडू चढ़ाया। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने दशलक्षण पर्व के उत्तम शौच धर्म के बारे मे समझाते हुए कहा की यह धर्म हमें यह सिखाता है कि हमें किसी भी चीज की आसक्ति नहीं करनी चाहिए।
जब व्यक्ति का किसी चीज में मोह होता है तो वह इस संसार से मुक्ति नहीं पा सकता है। व्यक्ति को शुद्ध मन से जितना मिला है, उसी में खुश रहने के साथ-साथ परमात्मा का शुक्रिया करना चाहिए। जीवन में संतोष होना ही वास्तवित सुख है। अगर आप भौतिक संसाधनों और धन दौलत में खुशी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं तो वास्तव में आप खुद को भ्रमित कर रहे हैं।सांयकालीन आरती एवं स्वाध्याय,प्रवचन एवं मुनि सेवा समिति द्वारा धार्मिक अंताक्षरी प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमे पूर्वी जैन ,मधु जैन,मीनू जैन, ऋतु जैन ने कार्यक्रम कराने में सहयोग किया। सभी विजयी प्रतियोगीओं को संस्था द्वारा पुरूस्कार देकर सम्मानित किया।कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन एवं मोना जैन ने किया। कार्यक्रम मे अरुण कुमार जैन,मनोज जैन,सुरजीत जैन,यतीश जैन ,राजीव जैन शास्त्री ,प्रदीप जैन, जैन ,संतोष जैन उदयवीरसिंह जैन , हरिकांत जैन एवं समाज के पुरुष महिला बच्चे उपस्थित रहे।