झूठे वचनों का त्याग करना ही उत्तम सत्य धर्म- मुनि अनुकरण सागर
श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम सत्य धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की
झूठे वचनों का त्याग करना ही उत्तम सत्य धर्म- मुनि अनुकरण सागर दसलक्षण पर्व के पांचवे दिन गुरुवार को खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगम्बर जैन ट्रस्ट मंदिर जी मे उत्तम सत्य धर्म पर श्रावक श्राविकाओं ने पूजन अर्चना की।
मंदिर जी मे प्रात: श्रीजी का अभिषेक ,शांतिधारा एवं सामूहिक पूजन सांगानेर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन मे हुआ। मुनि श्री अनुकरण सागर महाराज ने दशलक्षण पर्व के उत्तम सत्य धर्म के बारे मे समझाते हुए कहा कि यह धर्म व्यक्ति को सिखाता है कि आत्मा की प्रकृति जानने के लिए सत्य आवश्यक है। जब व्यक्ति अपने मन आत्मा को सरल और शुद्ध बना लेता है, तो सत्य ही उसका जीवन बन जाता है। ध्यान रखें कि झूठ बोलना आपके बुरे कर्मों में बढ़ोतरी करता है, जिसके कारण व्यक्ति के लिए सांसारिक माया से मुक्ति पाना काफी कठिन हो जाता है। सत्य धर्म आत्मीय गुण है जबकि सत्य वचन जड़ है।
सांय आरती , स्वाध्याय एवं प्रवचन हुए। कुलदीप जैन ,गौरव जैन ,दीपेंद्र जैन,गगन जैन,मयंक जैन, कुणाल जैन , सत्यम जैन , लक्ष्य जैन,राहुल जैन ,लवनीश जैन,सागर जैन एवं समाज के पुरुष महिला बच्चे उपस्थित रहे।