जहां कुछ भी नहीं मेरा वहां है आकिंचन्य -मुनि अनुकरण सागर
दशलक्षणपर्व के नौवां दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म पर
सोमवार को खिरनी गेट स्थित श्री लख्मीचंद पांड्या खंडेलवाल दिगंबर जैन ट्रस्ट मंदिर में श्रीजी का श्रावकों ने अभिषेक शांतिधारा ,पूजन सांगनेर से पधारे आचार्य संस्कार शास्त्री के निर्देशन मे संपन्न हुई । बाग वाले मंदिर जी में मुनि अनुकरण सागर जी ने धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा जब यह अहसास होने लगे की यहां मेरा अब कुछ नहीं तब उत्तम आकिंचन्य धर्म प्रकट होता है। आकिंचन्य हमें मोह-माया का त्याग करना सिखाता है। हमें किसी भी चीज में ममता नहीं रखनी चाहिए। सभी तरह की मोह-माया व प्रलोभनों का त्याग करके ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। जब आप मोह का त्याग कर देते हैं तो इससे आत्मा को शुद्ध बनाया जा सकता है। अक्सर लोग उन चीजों के प्रति आसक्ति रखते हैं , जिसके वह बाहरी रूप में मालिक हैं – जैसे-घर, जमीन, धन, चांदी, सोना, कपड़े और संसाधन। यह आसक्ति ही व्यक्ति की आत्मा के भीतर मोह, गुस्सा, घमंड, कपट, लालच, डर, शोक, और वासना जैसी भावनाओं को जन्म देती है। लेकिन अगर व्यक्ति इन सब मोह का त्याग करता है, तो उसके लिए आत्मा को शुद्ध बनाने का रास्ता प्रशस्त होता है। शाम को आरती, प्रवचन एवं जैन युवा समिति के तत्वावधान मे मेधावी छात्र- छात्रा अलंकरण समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विशाख जी आई.ए.एस. जिलाधिकारी एवं कार्यक्रम प्रायोजक सुरेश कुमार जैन गढी़ प्रबंध निदेशक ए.पी.ग्रुप ऑफ कम्पनी। क्षेत्रीय अध्यक्ष भारतीय जैन मिलन क्षेत्र संख्या 9 ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया। समिति के पदाधिकारियों द्वारा अतिथियों का माला शॉल एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अतिथियों द्वारा सभी छात्र छात्राओं को पुरुस्कार देकर सम्मानित किया।
कार्यक्रम का संचालन अंशुल जैन ने एवं आभार यतीश जैन अध्यक्ष ,सुरजीत जैन पाटनी मंत्री ने किया। इस मौके पर राजीव जैन,प्रवीण जैन ,सुधांशु जैन ,दीपक जैन, अभिषेक जैन ,विनोद जैन राहुल जैन, मुकेश जैन, सत्येंद्र जैन, संजय जैन ,राजीव जैन मथुरा उपस्थित रहे।