मा0 विधायक एवं जिला पंचायत अध्यक्ष ने मक्का विकास कृषि गोष्ठी का किया शुभारंभ
कृषि वैज्ञानिकों ने दी तकनीकी जानकारी तो प्रगतिशील किसानों ने अनुभव किए साझा
अलीगढ़ मक्का फसल के विकास के लिए कल्याण सिंह हैबिटेट सेंटर में जिलास्तरीय कृषक गोष्ठी का आयोजन किया गया। त्वरित मक्का विकास कार्यक्रम के तहत आयोजित गोष्ठी में प्रगतिशील एवं सैकड़ों की संख्या में अन्नदाता किसानों ने प्रतिभाग किया। वैसे तो किसान से ज्यादा खेती के बारे में और कौन जान सकता है, परन्तु गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिकों एवं अपने-अपने क्षेत्र में ठोस अनुभव रखने वाले अधिकारियों ने विभागीय योजनाओं एवं केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा किसान हित में बनाई गईं एवं संचालित योजनाओं के बारे में विस्तार से समझाया। तकनीकी सत्र में तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समन्वित कृषि प्रबंधन पर विस्तार पूर्वक बताया गया। कार्यक्रम में कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को मक्का खेती एवं तिलहन फसल से संबंधित सभी पहलुओं पर व्याख्यान दिए और उनकी जिज्ञासाओं एवं सवालों का उत्तर दिया। किसानों ने भी अपने अनुभव और समस्याओं को साझा किया। जिला स्तरीय मक्का उत्पादन गोष्ठी का उद्घाटन जिला पंचायत अध्यक्ष एवं विधायक कोल द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती विजय सिंह ने अपने उद्बोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि कृषक भाई इस गोष्ठी के द्वारा कृषि से सम्बंधित नवीनतम तकनीक की जानकारी प्राप्त कर उसे अपने खेती में अपनाते हुए लाभ लें। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार भी कृषको के उत्थान के लिए लगातार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि किसान और सैनिक को एक ही दर्जा दिया गया है। आप तो अन्नदाता हैं, आपकी मेहनत से ही विश्व भर का पेट भरता है। उन्होंने कहा कि किसान की आय दोगुनी करने के लिए इस प्रकार की गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है। गांव में सचिवालय बनाकर ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
मा0 विधायक कोल श्री अनिल पाराशर ने कहा कि गोष्ठी का उद्देश्य कम लागत में अधिक उत्पादन को बढ़ाना है। मक्का उत्पादन बढ़ने से प्रदेश की अर्थव्यवस्था 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि मुख्य रूप से देसी मक्का एवं संकर मक्का के साथ पॉपकॉर्न, स्वीट कॉर्न और बेबी कॉर्न की बढ़ती मांग को देखते हुए मक्का की विभिन्न प्रजातियों के उन्नत तकनीक प्रदर्शन, अनुदान पर संकर बीज वितरण, प्रचार प्रसार के कार्यों, अध्ययन, भ्रमण, गोष्ठियों का भी आयोजन किया जा रहा है। अब खेती का दौर बदल गया है। सरकार द्वारा नई नई तकनीक एवं विधियों को सुझाया जा रहा है। उन्होंने किसानों से कृषि विविधीकरण पर भी ध्यान देते हुए आलू-धान के अलावा मक्का-बाजरा की खेती करने की बात कही। उन्होंने एफपीओ के माध्यम से सरकारी योजनाओं संसाधनों का सदुपयोग करते हुए एकजुट होकर खेती करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि, फ्री राशन का लाभ दिया जा रहा है। तकनीक से जुड़ने के लिए विद्यार्थियों को टैबलेट्स का वितरण किया जा रहा है। आप मौसम, बीज, मूल्य की ऑनलाइन जानकारी कर सकते हैंआईवीआरआई बरेली से पधारे वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 रनवीर सिंह ने किसानों से पराली न जलाए जाने की अपील करते हुए कहा कि कृषि भूमि के लिए मिट्टी में 18 पोषक तत्वांे का होना जरूरी होता है। पराली जलाने से वह पोषक तत्व और सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं और धीरे-धीरे भूमि बंजर होने लगती है। उन्होंने किसानों का आव्हान करते हुए कहा कि अधिक दूध के लिए थारपाकर और साहीवाल नस्ल की गाय पालें। यहां की जलवायु भी इन नस्लों के अनुकूल है। मुर्रा नस्ल की भैंस भी पाल सकते हैं। उन्होंने कहा कि ही व्यक्ति को अपने कचरे का स्वयं प्रबंधन करना चाहिए।डॉ0 ए0 के0 सिंह ने कहा कि देश मे एफपीओ बनाकर फसलोत्पादन बढ़ाया जा रहा है। सरकार ने एफपीओ को सभी प्रकार के लाइसेंस दिए हैं ताकि उन्हें किसी भी स्तर पर दिक्कत का सामना न करना पड़े। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का संयमित सदुपयोग करने की बात कही डॉ0 सुधीर सारस्वत ने बताया कि मक्का की इस प्रकार की प्रजाति आ गई हैं कि अब रबी, खरीफ और जायद तीनों सीजन में मक्का का उत्पादन कर सकते हैं। फसलोत्पादन में बीज शोधन का बहुत महत्व है डॉ ए0के0 श्रीवास्तव ने बताया कि मक्का को अन्न की रानी कहा जाता है। इसको ऑल सीजन क्रॉप के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने किसानों को मक्का बोने से पहले बीज का चयन एवं क्रय के दौरान बरती जाने सावधानियों के साथ ही मक्का की पैदावार, कटाई एवं मढाई के बारे में भी उपयोगी जानकारी दीडॉ अतहर हुसैन वारसी ने गेहूँ और सरसों के बारे में बताया कि सरसों की खेती में विरलीकरण करना चाहिए। क्योंकि जब पौधे की शाखाएं ज्यादा नहीं होंगी तो पैदावार नहीं मिलेग गेहूँ के अच्छे उत्पादन के लिए क्लोरोमी क्वार्ट और टेबुकोनजोल को पौधों में डालें ताकि पौधे की लंबाई अनावश्यक न बढ़े।
एएमयू प्लांट पैथोलॉजी के डॉ मुजीबुर्रहमान ने कहा कि भारत दुनिया में कृषि फसलों में प्रथम या दूसरे स्थान पर है, परंतु उत्पादन कम रहता है। उन्होंने कहा कि उपज बढ़ाने के लिए फालतू के खर्चे कम करने होंगे। फसल में बीमारी के लक्षण दिखाई देते ही उनका इलाज कर दें, उसको बढ़ने न दें। उन्होंने मक्का के बीज पर स्यूडोमोनास या ट्राइकोडर्मा बायोफर्टिलाइजर लगाने की अपील की।
जिला कृषि अधिकारी डॉ धीरेंद्र कुमार चैधरी ने मक्का एवं आगामी रबी गोष्ठी के बारे में बताया कि आलू गेहूं के अलावा मक्का की फसल को आगे बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। भारत मक्का क्षेत्रफल में चैथे स्थान पर है तो वहीं उत्पादन में सातवें स्थान पर है, जिसको बढ़ाना है। मक्का का प्रयोग खाने में ही नही बल्कि अन्य विभिन्न प्रकार से भी किया जा रहा है। उन्होंने किसानों को मक्का का उत्पादन बढ़ाने की अपील की।
कृषि गोष्ठी में डीडी कृषि यशराज सिंह, पीपीओ अमित जायसवाल, भूमि संरक्षण अधिकारी दिव्या मौर्या, एक्सईएन सिंचाई राजेन्द्र कुमार सिंह, डिप्टी आरएमओ राजीव कुलश्रेष्ठ समेत संबंध्तिा अधिकारीगण एवं किसान बन्धु उपस्थित रहे।