नासा के दो साइंटिस्ट सुनिता विलियम्स और बुच विलमोर पिछले सत्तर दिनों से अंतरिक्ष में ही अटके
एस्ट्रॉनोट्स के खाने पीने की सप्लाईज पर असर पड़ा . उन्हें पिज्जा, रोस्टेड चिकन, प्रॉन कॉकटेल्स औऱ कुछ फ्रैश प्रोडक्ट्स ओरिजिनल मैन्यू के तहत दिए गए
नासा के दो साइंटिस्ट सुनिता विलियम्स और बुच विलमोर पिछले सत्तर दिनों से अंतरिक्ष में ही अटके हैं. दोनों ही एस्ट्रोनोट्स को तयशुदा दिनों से ज्यादा दिन अंतरिक्ष में बिताने पड़ रहे हैं. वो जून में सिर्फ आठ दिन के मिशन के लिए अंतरिक्ष में गए थे. जो अब जनवरी 2025 तक के लिए एक्सटेंड हो गया है.बोइंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट में आई खराबी की वजह से. एक स्पेसक्राफ्ट उन्हें लाने में नाकाम हो चुका है. अब दूसरा एयरक्राफ्ट स्पेस एक्स ड्रेगन उन्हें लेने फरवरी 2025 को स्पेस में पहुंचेगा. तब तक सुनिता विलियम्स को जानने वालों की फिक्र ये है कि वो पृथ्वी से 254 माइल्स ऊपर अपनी तबियत का ध्यान कैसे रख रही हैं.अपनी मानसिक सेहत का ख्याल रखने के लिए सुनीता विलियम्स नासा से ही काफी ट्रेनिंग लेकर गई हैं. उन्हें कई तरह की एक्सरसाइज और थेरेपीज सिखाई गई हैं जो उन्हें अंतरिक्ष के माहौल में भी मेंटली फिट रखती हैं. इसके अलावा नासा के कम्यूनिकेशन सेंटर के जरिए वो समय समय पर अपने करीबियों से फोन पर बात, कॉल या वीडियो कॉल कर सकती हैं. जो उन्हें मोटिवेटेड और पॉजीटिव रखता है. साथ ही जरूरत पड़ने पर उन्हें साइक्लोजिस्ट से बात करने का मौका भी मिलता है.तयशुदा समय से ज्यादा समय होने की वजह से एस्ट्रॉनोट्स के खाने पीने की सप्लाईज पर असर जरूर पड़ा है. उन्हें पिज्जा, रोस्टेड चिकन, प्रॉन कॉकटेल्स औऱ कुछ फ्रैश प्रोडक्ट्स ओरिजिनल मैन्यू के तहत दिए गए थे. लेकिन अब वो ज्यादातर सीरियल्स और पाउडर्ड मिल्क पर ही निर्भर कर रहे हैं. साथ ही कुछ सूप बनाकर पी पा रहे हैंआईएसएस के जरिए एस्ट्रॉनोट्स के यूरिन और पसीने को पीने लायक पानी में तब्दील किया जा रहा है. इसके साथ ही ग्राउंड स्टेशन पर डॉक्टर्स की पूरी टीम है जो उनकी सेहत की जानकारी लेती रहती है. ये टीम उन्हें मेंटल और इमोशनल सपोर्ट भी प्रोवाइड करवाती है.