अलीगढ़ के दीवानी न्यायालय परिसर में एक फर्जी अधिवक्ता बिना किसी डिग्री के बिस्तर लगाकर वकालत कर रहा
धनीपुर के अजय शर्मा नाम के व्यक्ति का व्यापारिक लेनदेन में रुपया फंस गया

अलीगढ़ के दीवानी न्यायालय परिसर में एक फर्जी अधिवक्ता बिना किसी डिग्री के बिस्तर लगाकर वकालत कर रहा था। उसके फर्जीवाड़े का भेद तब खुला, जब एक व्यक्ति से मुकदमे के नाम पर 9 लाख रुपये ऐंठ लिए। जब रुपये वापस नहीं किए तो पीडि़त ने बार एसोसिएशन में शिकायत दी। बार में हुई जांच के बाद उसे फर्जी पाए जाने पर 5 मार्च को पुलिस को सौंप दिया। उसके खिलाफ थाने में तहरीर भी दी गई है।प्रकरण इस तरह है कि धनीपुर के अजय शर्मा नाम के व्यक्ति का व्यापारिक लेनदेन में रुपया फंस गया। वह अपनी रकम वापसी के लिए प्रयासरत था। इसी बीच उसकी मुलाकात मूल रूप से एटा पिलुआ व हाल बालाजी एंकलेब गांधीपार्क के अजय पाठक से हुई। उसने खुद को अधिवक्ता बताते हुए कहा कि वह मुकदमा दर्ज कराकर अदालत में प्रयास कर आपकी रकम वापस करा देगा। इसके लिए यहां से लेकर हाईकोर्ट तक कोर्ट फीस लगेगी। एक जज को भी अपना रिश्तेदार बताया। इसके लिए उसने कई बार में 9 लाख रुपये ले लिए। इसके बाद न तो कोई कागज दिया, न कोई साक्ष्य दिए। कहने लगा कि सभी कागज कोर्ट में जाम हो गए हैं। कई माह बाद कई प्रयास करने पर भी जब कुछ नहीं हुआ और अब जब रुपये वापस मांगे जाने लगे तो वह धमकाने लगा। इसी पर पीडि़त ने बार अध्यक्ष से शिकायत की। दि अलीगढ़ बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह व महासचिव दीपक बंसल के अनुसार इसकी कमेटी बनाकर जांच कराई तो अजय पाठक को एक अन्य अधिवक्ता संग दीवानी में फर्जी तरीके से वकालत करते पाया गया। दूसरे अधिवक्ता संग उसने बिस्तर पर अपना नाम भी लिखवा रखा था। जांच में न वह बार का सदस्य पाया गया। न डिग्री पाई गई व न बार सदस्यता का शुल्क जमा पाया गया। वह फर्जी नाम से वकालत कर रहा था। हां, इतना पता चला कि उसका बेटा वकालत की पढ़ाई कर रहा है। इस पर उसे पुलिस के हवाले कर दिया गया है। वहीं लिखित सुपुर्दगी नामा दिया गया है। पीड़ित की ओर से तहरीर भेजी गई है। एसएचओ सिविल लाइंस राजवीर सिंह परमार के अनुसार बार की ओर से एक फर्जी वकील पकड़कर भेजा गया है। अभी तहरीर का इंतजार किया जा रहा है।