भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स लगभग नौ महीने के अंतरिक्ष मिशन के बाद 19 मार्च को पृथ्वी पर लौट रही हैं
18 मार्च को ISS से अलग होगा और 19 मार्च को समुद्र में उतरेगा

भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स लगभग नौ महीने के अंतरिक्ष मिशन के बाद 19 मार्च को पृथ्वी पर लौट रही हैं. स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से फ्लोरिडा तट पर लैंडिंग होगी. उनका अंतरिक्ष यान 18 मार्च को ISS से अलग होगा और 19 मार्च को समुद्र में उतरेगा. नासा पूरी वापसी प्रक्रिया का लाइव प्रसारण करेगा. भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विलमोर की धरती पर वापसी होने वाली है. सुनीता और बुच स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी पर लौटेंगे. दोनों बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल से पिछले साल पांच जून को केप कैनवेरल से रवाना हुए थे. वे दोनों आठ दिन के मिशन के लिए ही गए थे, लेकिन अंतरिक्ष यान से हीलियम के रिसाव और वेग में कमी के कारण ये लगभग नौ महीने से अंतरिक्ष स्टेशन में फंसे हुए हैं. आज यानी 18 मार्च को भारतीय समयानुसार 10 बजकर 35 मिनट पर यान को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से अलग यानी अनडॉक किया जाएगा. ड्रैगन का अनडॉकिंग कई चीजों पर निर्भर है. इसमें यान और रिकवरी टीम की तैयारी, मौसम, समुद्री स्थितियां शामिल हैं. नासा और स्पेसएक्स क्रू-9 की वापसी के करीब स्प्लैशडाउन स्थान की पुष्टि करेंगे. सुबह 08.15 बजे यान का ढक्क्न बंद किया गया. इसके बाद सुबह 10.35 बजे अनडॉकिंग होगा, जिसमें आईएसएस से यान को अलग किया जाता है. 19 मार्च को सुबह 02.41 बजे डीऑर्बिट बर्न (वायुमंडल में यान का प्रवेश) होगा.
सुबह 03.27 बजे समुद्र में यान की लैंडिंग होगी. सुबह 05.00 बजे पृथ्वी पर वापसी के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी. ये सब चीजें होने के बाद भारतीय समयानुसार 19 मार्च 2025 को सुनीता और बुच की वापसी होगी. सुनीता और बुल को धरती पर लौटने में कुल 17 घंटे लगेंगे.पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के बाद यान अमेरिका में फ्लोरिडा तट के पास पानी में उतरेगा. इसके बाद अंतरिक्ष यात्रियों को एक–एक करके अंतरिक्ष यान से बाहर निकाला जाएगा. नासा पूरी वापसी प्रक्रिया का लाइव कवरेज कर रहा है, जिसमें हैच क्लोजर, अनडॉकिंग और स्प्लैशडाउन शामिल है.सफल लैंडिंग के बाद चालक दल को नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में कुछ दिनों के लिए नियमित पोस्ट–मिशन मेडिकल जांच के लिए भेजा जाएगा. अंतरिक्ष यात्रियों को अकेलेपन की मनोवैज्ञानिक चुनौतियों के अलावा जीवित रहने के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के कारण हड्डियों और मांसपेशियों की गिरावट, विकिरण जोखिम और दृष्टि हानि का सामना करना पड़ता है.