
ब्राजील के रियो डी जेनेरियो शहर में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन हो रहा है. ब्रिक्स के सभी 11 सदस्य इसमें हिस्सा ले रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा के केन्द्र बिंदु बने हुए हैं भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब ब्रिक्स का एजेंडा सेट करते हैं और भारत की बात को पूरी दुनिया सुनती है.एक समय ऐसा भी था, जब BRICS में भारत को बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाता था. साल 2009 से 2013 के बीच जब UPA 2 का शासन था, तब तमाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया की तरफ से ब्रिक्स में भारत को लेकर सवाल खड़े किए जाते थे. कुछ रिपोर्ट में तो भारत को ब्रिक्स की सबसे कमजोर कड़ी तक बता दिया गया था. कुछ वैश्विक नीति निर्धारक इसे BRICS में India की जगह इंडोनेशिया करने का सुझाव तक देते थे. 2013 में ब्रिक्स के सदस्य देशों के विकास दर को देखें तो भारत का विकास दर महज 5.5 फ़ीसदी था, जबकि ब्रिक्स के अन्य सदस्य देशों के विकास दर में चीन 7.8%, ब्राजील 6.1%, रूस 6.5% और दक्षिण अफ़्रीका 5.7% थी. हालात ऐसे थे कि 2013 में भारत को दुनिया की 5 सबसे कमजोर अर्थव्यवस्था कहा जाता था.वहीं साल 2013 में अगर हम ब्रिक्स देशों के औद्योगिक विकास दर की बात करें तो भारत महज 2 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा था. जबकि चीन का औद्योगिक विकास दर 9.3%, ब्राजील का 8.4%, दक्षिण अफ्रीका का 7% औद्योगिक विकास दर था. साल 2013 तक भारत में महंगाई दर भी अन्य सदस्य देशों के मुकाबले काफी अधिक थी.साल 2014 में नरेन्द्र मोदी जब भारत के प्रधानमंत्री बने तो ब्रिक्स की रूपरेखा ही बदल गई. ब्रिक्स में भारत की धारणा को ही बदलकर रख डाला. प्रधानमंत्री मोदी ने साल 2014 से हर ब्रिक्स सम्मेलन में ना सिर्फ हिस्सा लिया, बल्कि भारत के नजरिए से इसका एजेंडा भी सेट किया, जिसे ब्रिक्स के सभी सदस्य देश स्वीकार करने लगे. अब अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रिपोर्ट किया जाता है कि भारत ब्रिक्स का मुख्य ग्रोथ इंजन बन चुका है. भारत की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. साल 2024-25 में भारत की GDP 6.5 प्रतिशत थी, जबकि चीन की 5%, रूस की 4.3%, ब्राजील की 3.4%, दक्षिण अफ्रीका की 0.6% जीडीपी रही. इन आंकड़ों के मुताबिक भारत ब्रिक्स देशों में बहुत आगे है.वहीं पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने औद्योगिक विकास दर में भी चीन को पछाड़ दिया है. भारत की औद्योगिक विकास दर 6.4% है, जबकि चीन 5.8% पर खड़ा है. वहीं रूस 4.5%, ब्राजील 3.1% पर दिखाई दे रहा है. ब्रिक्स देशों में भारत इस क्षेत्र में भी नंबर वन बन चुका है. साल 2024 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ ब्रिक्स के बहुत सारे देशों के लिए एक उदाहरण है.2014 तक ब्रिक्स को आमतौर पर वित्तीय सहयोग और बहुपक्षवाद के नजरिए से ही देखा जाता था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने इसके एजेंडे को ही बदलकर रख दिया. भारत के बहुत से मुद्दों को ब्रिक्स में जगह मिलने लगी है और अन्य देश स्वीकार करने लगे.सबसे बड़ी बात यह रही है कि ब्रिक्स में आतंकवाद विरोधी मुद्दों पर चर्चा होने लगी. साल 2021 में ब्रिक्स काउंटर टेररिज्म वर्किंग ग्रुप भी बना, जिसमें काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान को स्वीकार किया गया. आतंकी संगठन वित्तीय और डिजिटल नेटवर्क का दुरुपयोग ना कर पाएं, इस पर भी चर्चा हुई.भारत ने ब्रिक्स में Digital Public Infrastructure (DPI) को भी लांच किया, जिसमें तकनीक के प्रयोग पर जोर दिया गया और भारत ने अपना उद्देश्य ब्रिक्स देशों के सामने रखे, जिसे बड़े स्तर पर लगातार समर्थन मिल रहा है. इसके अलावा ब्रिक्स में अब बात ग्लोबल साउथ के देशों की होती है. ब्रिक्स में चर्चा अंतरिक्ष सहयोग, ग्रीन डेवलपमेंट, एंटी करप्शन के प्रयास पर भी होती है. पहले यह सब मुद्दे ब्रिक्स में नहीं उठते थे. ऐसे मुद्दों को ब्रिक्स में चर्चा के लिए लाने का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है. नए भारत की आवाज ब्रिक्स में सुनी जाती है और अब भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था ब्रिक्स के देशों के लिए एक रोल मॉडल साबित हो रहा है.