जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक संपन्न, डीएम ने स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी लाने के दिए निर्देश
जनवरी से अक्टूबर तक 3067664 को ओपीडी, 157182 को आईपीडी, 128698 को एक्स-रे, 37393 को अल्ट्रासाउण्ड एवं 4710076 मरीजों को मिला पैथोलॉजी की सुविधाआंे का लाभ

अलीगढ़ : जिलाधिकारी संजीव रंजन की अध्यक्षता में कलैक्ट्रेट सभागार में जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक आहूत की गई। डीएम ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिक और महती जिम्मेदारी है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि चिकित्सा सेवाओं में सुधार एवं जनसहभागिता बढ़ाने के लिए समयबद्ध और परिणाम आधारित कार्य अवश्य सुनिश्चित करें।बैठक में चिकित्सालयों की क्रियाशीलता, मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, राष्ट्रीय कार्यक्रमों, आयुष्मान भारत, टीबी नियंत्रण, क्वालिटी पैरामीटर एवं कम्युनिटी प्रोसेस की प्रगति की विस्तृत समीक्षा की गई। समीक्षा में पाया गया कि जिले में जनवरी से अक्टूबर माह तक 3067664 मरीजों को ओपीडी, 157182 मरीजों को आईपीडी, 128698 मरीजों को एक्स-रे, 37393 मरीजों को अल्ट्रासाउण्ड एवं 4710076 मरीजों को पैथोलॉजी की सुविधाएं प्रदान की गई हैं।समीक्षा के दौरान माह अक्टूबर में स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रसव संख्या में गिरावट पाई गई। गोंडा में 67, अकराबाद 38, लोधा 30, बेसवां 47, अतरौली 37, गभाना 14, इगलास 30 तथा जमालपुर में 17 प्रसव दर्ज किए गए, जो गत वर्ष की तुलना में कम हैं। डीएम ने इस पर गंभीर चिंता जताते हुए सभी बीएमओ को प्रसव सेवाओं में सुधार और संस्थागत प्रसव बढ़ाने के निर्देश दिए। परिवार नियोजन की समीक्षा में लोधा एवं धनीपुर ब्लॉक की प्रगति असंतोषजनक पाई गई। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को लक्ष्य के अनुरूप प्रगति न होने पर चेतावनी देते हुए ठोस कार्रवाई कर सुधार लाने के निर्देश दिए।समीक्षा में यह भी पाया गया कि जिला अस्पताल में एक्स-रे परीक्षण और भर्ती मरीजों की संख्या में कमी आई है। डीएम ने सीएमएस को निर्देश दिए कि उपकरणों की उपलब्धता, कर्मियों की तैनाती और सेवाओं की दक्षता का परीक्षण कर तत्काल प्रभाव से सुधार सुनिश्चित करें।प्रदेश सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही ‘‘डेकरी सर्जरी’’ की सुविधा की समीक्षा में पाया गया कि तैनात शल्य चिकित्सक शासन की अपेक्षाओं के अनुरूप शल्य क्रियाएं नहीं कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि अधिक से अधिक सर्जरी कर मरीजों को लाभान्वित किया जाए और सुविधा का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित किया जाए। डीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए कि संस्थागत प्रसवों को बढ़ावा देना, सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करना एवं मातृ मृत्यु दर को शून्य के स्तर पर लाने के लिए सभी अधिकारी प्रभावी कदम उठाएं। उन्होंने आकस्मिक कारणों से प्रसव के दौरान होने वाली मौतों का मृत्यु ऑडिट अनिवार्य रूप से कराने और दोषी की जिम्मेदारी तय करने के आदेश भी दिए। बैठक में अंधता निवारण, टीकाकरण, आशा भुगतान एवं चयन के संबंध में भी गहनता से विचार विमर्श किया गया।



